सात्विका गोयल को राष्ट्रीय प्रगति पुरस्कार से सम्मानित किया

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देहरादून : ऑल इंडिया बिजनेस डेवलपमेंट एसोसिएशन ने नई दिल्ली में एक भव्य समारोह में आशु सात्विका गोयल को एक सामाजिक कार्यकर्ता और भारत के सांस्कृतिक राजदूत के रूप में उनकी उपलब्धियों के लिए  के लिए  “राष्ट्रीय प्रगति पुरस्कार” व पदक से सम्मानित किया। उन्हें पूर्व राजदूत वी.बी.सोनी, मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलपति के.एस.राणा, उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप, डॉ जितेंद्र सिंह शुंटी (पदमश्री पुरस्कार विजेता, शहीद भगत सिंह सेवा दल, एसबीएस फाउंडेशन के अध्यक्ष), प्रो एस.एस भाकरी, श्री हरिपाल रावत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (ए.आई.सी.सी) असम के संयुक्त सचिव, श्री पीसी नेलवाल (पूर्व उपाध्यक्ष उत्तराखंड प्रवासी समन्वय और कल्याण सलाहकार समिति) ने पुरस्कार प्रदान किया।        इनका जन्म देहरादून में शिक्षाविदों और प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ताओं के परिवार में हुआ था। इनके माता-पिता का नाम विजय कुमार गोयल (इंजीनियर) और किरन उल्फत गोयल (शिक्षाविद सामाजिक कार्यकर्ता और संगीतकार) हैं। इन्होंने IIPM से MBA और DAV गढ़वाल यूनिवर्सिटी से M. Com किया है। इन्होंने गोल्ड मेडलिस्ट के रूप में एमबीए की डिग्री पास की और एकेडमिक गोल्ड स्टूडेंट होल्डर का पद भी प्राप्त किया। यह एक प्रशिक्षित कथक (भारतीय शास्त्रीय नृत्य) कलाकार  हैं और इन्होंने मणिपुरी नृत्य (पूर्वी भारतीय शास्त्रीय नृत्य), हिप-हॉप, बॉलीवुड, जैज़, समकालीन, अर्ध-शास्त्रीय और एफ्रो जैज़ नृत्य रूपों में कुछ पाठ्यक्रम भी किए हैं। अपनी किशोरावस्था में, इन्होंने इंग्लैंड, जापान, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, हॉलैंड, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में अपने नृत्य प्रदर्शन की प्रस्तुति भी दी है । राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इन्होने भारत का प्रतिनिधित्व किया है ।    आशु सात्विका गोयल एक सामाजिक कार्यकर्ता, सांस्कृतिक राजदूत, कलात्मक प्रशिक्षक, अभिनेता और मॉडल हैं। वह रंग हिमालय (विविधता और पृथ्वी फेलोशिप का जश्न मनाने के लिए त्योहार) की सह-संस्थापक और एक नई सभ्यता बनाने वाले वैश्विक युवा नेटवर्क की सदस्य हैं। उन्होंने वैश्विक मुद्दों पर बचपन से ही कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों में भाग लिया है, व राष्ट्रीय चित्रकार पुरस्कार विजेता भी हैं। इनके नाना-नानी प्रो. लेख राज उल्फत और श्रीमती एच. साधना उल्फत नन्ही दुनिया (द इंटरनेशनल मूवमेंट ऑफ चिल्ड्रन एंड देयर फ्रेंड्स) के संस्थापक हैं, जिसकी स्थापना 1946 में हुई थी, जो बाल, युवा और महिला कल्याण के क्षेत्र में काम कर रही है। इन्हें 2018 में राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास और अखिल भारतीय व्यापार विकास संघ द्वारा सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार “भारत विकास रत

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