दून विश्वविद्यालय में सात दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम कार्यशाला शुरू

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देहरादून 28 जनवरी। दून विश्वविद्यालय के स्तुति प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत रसायन विज्ञान, भौतिकी और पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन विभाग में “संश्लेषण की उन्नत वाद्य तकनीक और नैनो सामग्री के भौतिक रासायनिक विश्लेषण” पर सात दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में स्तुति की परियोजना प्रबंधन इकाई के तत्वावधान में शुरू किया गया है। यह कार्यशाला 2 फरवरी तक संचालित होगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा समर्थित ‘सिनर्जिस्टिक ट्रेनिंग प्रोग्राम यूटिलाइज़िंग द साइंटिफिक एंड टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर’ (स्तुति) योजना का उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर तक खुली पहुंच के माध्यम से मानव संसाधन और इसकी ज्ञान क्षमता का निर्माण करना है।

यह एफआईएसटी/पर्स/क्यूरी/सैफ/साथी योजनाओं के तहत परियोजनाओं का लाभ उठाने वाले विभिन्न संस्थानों/विभागों में अत्याधुनिक उपकरणों के प्रशिक्षण और संवेदीकरण की कल्पना करता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. सुरेखा डंगवाल,  कुलपति, दून विश्वविद्यालय एवं मुख्य अतिथि डॉ. कालाचंद सेन, निदेशक, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) ने दीप प्रज्वलित करके किया। सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की संयोजक डॉ. चारु द्विवेदी ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल और तमिलनाडु सहित विभिन्न राज्यों के कई संस्थानों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशिक्षण के प्रमुख बिंदुओं के साथ समय-सारणी और प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह प्रशिक्षण दूरस्थ स्थानों से आए प्रतिभागियों सहित सभी प्रतिभागियों के लिए बहुत फायदेमंद होगा।

उन्होंने बताया कि यह दूसरी बार है जब दून विश्वविद्यालय उत्तराखंड राज्य में यह प्रशिक्षण आयोजित कर रहा है। अभी तक इस तरह का प्रशिक्षण प्रदेश के किसी अन्य विश्वविद्यालय या संस्थान द्वारा नहीं कराया गया है। वैज्ञानिक उपकरणों एवं तकनीकी की जानकारी विद्यार्थियों व शोधार्थियों को कराना इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का महत्व है और हमें ज्ञान एवं प्रशिक्षण अपनी आने वाली पीढ़ियों को हस्तांतरित करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। मुख्य अतिथि डॉ कलाचंद सैन ने कहा कि यह प्रशिक्षण सभी प्रतिभागियों को सहयोग और नेटवर्किंग का अवसर प्रदान करेगा। भविष्य में, प्रतिभागियों को दून विश्वविद्यालय में साइंटिफिक एंड टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा प्राप्त होगी। डॉक्टर सेन ने कहा विद्यार्थियों को परंपरागत ज्ञान एवं आधारभूत वैज्ञानिक तथ्यों का विश्लेषण एवं परीक्षण हेतु आवश्यक कौशल इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से प्राप्त होगा। कार्यक्रम संयोजक डॉ. चारु द्विवेदी ने पूरे कार्यक्रम यानी स्तुति का संक्षिप्त विवरण प्रदान किया।

उन्होंने प्रतिभागियों को अगले सात दिनों में होने वाले विभिन्न सत्रों के बारे में भी जानकारी दी। डॉ. अर्चना शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर हिमानी शर्मा ने किया  सात दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को व्यावहारिक विज्ञान के लिए विभिन्न उपकरण तकनीकों का विश्लेषण करने के लिए आवश्यक बुनियादी ज्ञान और कौशल से लैस करने के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञ को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस दौरान प्रतिभागियों को यूवी-विज़-एन.आई.आर. स्पेक्ट्रोमीटर, एफ.टी.आई.आर. स्पेक्ट्रोमीटर, रासायनिक वाष्प जमाव प्रणाली, बीईटी सतह क्षेत्र विश्लेषक, ईसी/ओसी विश्लेषक, एयरोसोल स्पेक्ट्रोमीटर और कुछ अन्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपकरणों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण, विज्ञान विषय के सभी पीएचडी छात्रों, तकनीकी कर्मचारियों और संकाय सदस्यों के लिए भी फायदेमंद होंगे. इस अवसर पर प्रोफेसर आर पी ममगायी, प्रोफेसर एच सी पुरोहित, प्रोफेसर हर्ष डोभाल, डॉ विजय श्रीधर, डॉ अरुण कुमार, डॉ विपिन सैनी, डॉ प्रीति मिश्रा डॉक्टर राजेश भट्ट सहित शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

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