राजस्थान के कोटा में जन्मी वीना कपूर ने राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया है ।इन्होंने समाजिक, राजनीतिक और पारिवारिक मुद्दों पर काफी गंभीरता व बेबाकी से लिखा है । उनका मानना है ‘ साहित्य समाज का दर्पण होता है । एक लेखक को हर मुद्दे पर निडर होकर लिखना चाहिए | पारिवारिक , राजनीतिक और स्त्री विमर्श पर उनकी किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और पाठकों द्वारा बेहद सराही भी गई हैं। खासकर नारी जीवन पर लिखी उनकी कहानियाँ पाठकों द्वारा बहुत पसंद की जा रही है।उनके लिखे उपन्यास नारी जीवन की कठिन समस्याओं का शानदार और वास्तविक चित्रण करते हैं। उनका कहना है कि नारी केवल एक शरीर ही नहीं, एक मजबूत शक्ति है जो समाज को सही दिशा दिखाती है। नारी समाज में एक क्रांतिकारी परिवर्तन की आवश्यकता है जिसका ज़िक्र इनकी कहानियों में मिलेगा । सिर्फ़ समर्पण ही नारी की ज़रूरत नहीं है, प्यार , वात्सल्य और सेवा भी उसके कार्य क्षेत्र में आता है ।आइए वीना कपूर की लिखी किताबों पर डालते हैं एक नजर । आप इन्हें अमेजन से खरीद सकते हैं।सूनी कोखएक मां के दृष्टिकोण से लिखी यह कहानी अमूमन हर भारतीय परिवार की कहानी है । कहानी की नायिका कल्याणी तीन बेटों व एक बेटी की मां है । फिर भी जीवन की अंतिम संध्या में उसे ऐसा क्यों लगता है कि उसकी कोख सूनी है । भावुक कर देने वाला एक बेहतरीन उपन्यास फिर मिलेंगेविभिन्न सामाजिक, धार्मिक , सांस्कृतिक और आर्थिक माहौल से आए पांच दोस्तों की यह कहानी उनके माध्यम से आज की समकालीन विसंगतियों पर एक नजर डालता है । सांची पातीबच्चे किसी भी परिवार के सबसे कोमल शाख होते हैं । हर माता पिता अपने बच्चों को संस्कारी व आज्ञाकारी बनाना चाहते हैं । पर , शैलेंद्र कैसे अपने माता पिता की इच्छाओं की अवहेलना किए अपने सपनों को जीता है?समर्पणइस जीवन का आधार क्या है? समर्पण ? हमेशा औरों की खुशी के लिए जीने वाली स्त्री को अंत में क्या मिलता है? स्त्री विमर्श पर लिखी एक बेहतरीन किताब जो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है ।ना तुम जीते ना मैं हारीएक तलाकशुदा औरत के लिए समाज में अपनी पहचान बनाना बहुत मुश्किल है? आज भी औरतों के लिए अपने विषाक्त वैवाहिक जीवन से बाहर निकलना आसान नहीं है । इसी मुद्दे पर लिखी यह किताब पढ़ने योग्य है ।आज का भारत – वर्ण व्यवस्था , जाति, धर्म , समाज और राजनीतियह पुस्तक हिंदू धर्म की गहराई में जाती है, पूजा करने के तरीके, गीता, रामायण, मनुस्मृति, वेदों और अन्य ग्रंथों जैसे हिंदू महाकाव्यों का विश्लेषण करने की कोशिश करती है, जो धीरे-धीरे आज की भारत की राजनीति में बदल जाती है। गांधी जी के विचार और चाणक्य के विचार इस पुस्तक में शामिल हैं। विवेकानंद जी के विचारों को भी हिंदुत्व की संपूर्ण अवधारणा में लिया गया है। सदियों से भारत पर बाहरी लोगों का शासन रहा है, जिनका धर्म हमारे धर्म से अलग था। बाहरी लोगों ने वर्षों तक हमारे धर्म पर कड़ा प्रहार किया, लेकिन हमारे धर्म को नुकसान नहीं पहुंचा सके। इसके विपरीत हमारे धर्म ने उनके धर्म और उनके जीवन के तरीकों को आगे बढ़ाया।जाति व्यवस्था क्या है, इसे प्राचीन भारतीय संस्कृति में क्यों पेश किया गया और आज के भारत में इसका क्या स्वरूप है? इसे लेखिका द्वारा बहुत ही सादे और सरल भाषा में समझाया गया है?मेरा क्या कसूरलिव इन रिलेशनशिप के मुद्दे पर यह किताब बेबाकी से लिखी गयी है । इसके दुष्परिणामों पर भी लेखिका ने खुल कर लिखा है? विवाह संस्कारों को तिलांजलि दे आज हमारी युवा पीढ़ी जीवन के इस राह को चुन रही है । परंतु लेखिका के विचारों में स्त्री पुरूष की शारिरीक व मानसिक आवश्यकता का परिणाम होता है भविष्य का निर्माण जिसे समझना आवश्यक है ।वेदना यह किताब सत्य घटनाओं से प्रेरित है । इन कहानियों में नायिका वो हैं जिन्होंने अपने जीवन में अथाह दुख झेला है । इन कहानियों में स्त्री जीवन का संघर्ष है , कष्ट है , वेदना है ।A Book for the youth of Indiaभावी युवाओं के लिए बेहद जरुरी किताब । लेखिका स्वयं राजनीति विज्ञान की छात्रा रही हैं । इस किताब में उन्होंने भारतीय राजनीति पर लिखा है और यह भी बताया है कि अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना चाहिए । हर सरकारी नियम व कानून की जानकारी भी होनी चाहिए ।तुम्हारे बिना स्त्री – पुरूष संबंधों की जटिलता पर केंद्रित ‘तुम्हारे बिना ‘ वीना कपूर का एक और लघु उपन्यास है । प्यार और समर्पण पर नारी व पुरूष की सोच को दर्शाता यह उपन्यास आपको खजुराहो भी ले जाएगा तो बनारस भी । स्त्री पुरुष के तन और मन की मांग किस राह पर ले जाती है, यह गहरी सोच का विषय है । लेखिका ने तन और मन के इस दोराहे को शब्दों में ढाल
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कृषि नवीनीकरण के लिए ऋण आवश्यक: प्रभात चतुर्वेदी
Spread the loveभारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि (खेतीबाड़ी) एक प्रमुख क्षेत्र है, जिसमें लगभग 85 प्रतिशत के कृषि जोत का क्षेत्र 2 हेक्टर से कम है, फिर भी हमारी 140 करोड की बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त भोजन और फाइबर का उत्पादन कर रहा है। इसके साथ ही, यह निर्यात करके कुछ नेट एक्सपोर्ट मुनाफ़ा भी उत्पन्न करता है।विशेष रूप से संस्थाओं द्वारा छोटे और सीमांत किसानों` को पर्याप्त एवं समय पर बड़े पैमाने पर कम लागत वाले ऋण की पुष्टी के कारण वर्तमान में यह विकास संभव हो पाया है| भारतीय पॉलिसी मेकर्स के निरंतर प्रयास द्वारा किसानों को इंस्टीटूशनल स्रोतों से ऋृण प्राप्त करने में काफ़ी हद तक मदद मिली है | इन प्रयासों ने सभी किसानों को समय पर और पर्याप्त ऋण सहायता प्रदान करने के लिए प्रगतिशील संस्थागतकरण पर जोर दिया है, ताकि, छोटे और सीमांत किसान कृषि पद्धतियों में सुधार के लिए सक्षम बनने पर ध्यान केंद्रित कर सके। भले ही कृषिऋण (क्रेडिट) व्यवस्थाओं में सुधार करने तथा किसान समुदाय को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए सरकार ने कुछ सक्रिय कदम उठाए हैं, कुछ पड़ोसी देशों की तुलना में अभी भी काफी सक्रीय नीतियों के समावेश की आवश्यक्ता हैजहां पिछले दशकों में ऋण की मात्रा में सुधार हुआ है, वहीं इसकी गुणवत्ता और कृषि पर इसका प्रभाव सिर्फ कमजोर ही हुआ है। कृषि के लिए संतोषजनक पूंजी प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। चूंकि अधिकांश किसानों के लिए उपकरणों की खरीदी में ही अधिकांश धन की जरुरत पढ़ती है, आज भी अधिकांश कृषि ऋण (क्रेडिट) एक कार्यशील पूंजी के रूप में होता है। परिणामस्वरूप किसानों की आय का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बाधित होता है। भारतीय ऋण (क्रेडिट) मांग के विश्लेषण से पता चलता है कि, भले ही बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान प्रायरिटी सेक्टर लैंडिंग ऋण के तहत किसान समुदाय तक अपनी पहुंच को गतिवृद्ध रूप से बढ़ा रहे हैं, लेकिन किसानों के लोन की जरूरतों को पूरा करने में अभी भी सक्षम नहीं है। इन परिस्तिथियों के चलते, एनबीएफसी (NBFC) और फिनटेक (Fintech) संस्थानों ने कृषि यंत्रीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए किसानों की ऋृण आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु सरहानीय कार्य कर रहे है। यह वास्तव में भारत की विविध और उद्यमशीलता की भावना का प्रमाण है। बड़े कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के वित्तपोषण से लेकर छोटे किसानों के माइक्रोफाइनेंस तक, इन एनबीएफसी एनबीएफसी (NBFC) और फिनटेक (Fintech) संस्थानों ने समय की जरूरत को ध्यान में रखकर और समग्र रूप से किसान समुदाय की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु विभिन्न सेवाएं उलपब्ध कराने के लिये अग्रसर है। समय के साथ ये संस्थांयें सुनियंत्रित होते हुए, कई उदाहरणों में प्रौद्योगिकी, नवीनीकरण, जोखिम प्रबंधन और अभिशासन में सर्वोत्तम रणनीतिओं को अपना रहे है एवं वित्तीय समावेशन पर सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे है। कृषिकेंद्रित एनबीएफसी / फिनटेक किसानों की दीर्घकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं क्योंकि उनमें से अधिकांश की ग्रामीण भारत में उच्च पैठ है, और उनके ऋण वितरण का बड़ा हिस्सा केवल छोटे और सीमांत किसानों पर केंद्रित है। सार्वजनिक डोमेन डेटा बताता है कि कुल छोटे और सीमांत किसानों में से केवल 30 प्रतिशत किसान बैंकों और अन्य औपचारिक क्रेडिट चैनलों तक ऋण हेतु पहुंच पाते है। किसानों को ऋण प्रदान करने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने तथा सिमित टेक्नोलॉजी कुछ मुख्य कारण है जिनके चलते बैंको को इन किसानों तक पहुंचना संभव नहींहै।