आज जबकि तकनीकी सुलभ और दूरगामी बन रही है परन्तु दुनिया का सबसे पुराना व्यवसाय ‘कृषि’ का मौलिक रूप से विघटन हो रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), एनालिटिक्स और आईओटी जैसी तकनीकें कृषि अभ्यासों को बदल रही हैं और उनकी मूल्य श्रृंखलाओं को उन्नत कर रही हैं साथ ही इसके संचालन का आधुनिकीकरण भी कर रही हैं। ऐसे में कई देशों ने पहले ही डिजिटल उपायों की ओर कदम बढ़ा दिया है जबकि भारत अभी ऐसा करने के शुरूआती दौर में ही है।
जहां विभिन्न व्यवसाय अपनी संयोजकता बढ़ाने और तकनीकी को अपनाने की दिशा में तेज़ी से उन्नति कर रहे हैं, कृषि अभी भी डिजिटलीकरण को अपनाने में पीछे है। कई ऐसी नई तकनीकें हैं जो बेहतर निर्णय लेने में कारगर हैं और जिनकी मदद से उपज को बेहतर किया जा सकता जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पौधों में होने वाली बीमारियों के कारण विश्व की अर्थव्यवस्था को प्रतिवर्ष लगभग 220 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता है। सालाना वैश्विक फसल उत्पादन का 20 से 40 प्रतिशत कीटों के कारण बर्बाद हो जाता है। इन भयावह आंकड़ों के कारण न सिर्फ कृषि क्षेत्र बल्कि हमारा पर्यावरण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था भी मुश्किल दौर से गुज़र रही है।
कृत्रिम निवेश के रूप में इस क्षेत्र को जिस चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, उसने कृषि में उचित समय पर प्रासंगिक निवेश के सदुपयोग हेतू किसानों द्वारा सही निर्णय लेने की ज़रूरत को और बढ़ा दिया है। तकनीकी की उपलब्धता, इसके लिए निदान और उचित उपाय देने के लिए संसाधनों के बेहतर उपयोग के रास्ते खोल रही है और बेहतर उपज पाने में सहायता कर रही है जिससे किसानों को ज़्यादा लाभ हो रहा है। इस स्तर को सुधारने में तकनीकी बड़ी भूमिका निभा सकती है। उपलब्ध सामग्री जितनी अधिक स्थानीयकृत होगी देश के किसानों को उसे समझने में उतनी ही आसानी होगी। अपनी भाषा में उपायों की उपलब्धता किसानों की कठिनाइयों को असाधारण रूप से कम करने में सहायता करती है।
इसके अतिरिक्त इस तकनीक की सहायता से किसानों को अपनी पैदावार पर नज़र रखने के लिए अच्छी सलाह भी मिली है। किसानों द्वारा उपज के लिए अपनाए गए उपायों का असर उनके अन्य आदानों में निवेश को सुनिश्चित करता है। उपज के चक्र का प्रत्येक चरण इतना महत्वपूर्ण है कि किसान द्वारा की गई छोटी से छोटी गलती भी उसे मुश्किल परिस्थितियों में डाल सकती है। किसान अपनी ज़रूरत के मुताबिक विभिन्न पोषक तत्वों की कमी, बीमारियों और प्रभावित करने वाले कीटों के विषय में उपाय जानने के लिए एक तस्वीर के साथ जानकारी पाने के लिए सवाल पूछ सकते हैं।
बाज़ार में उपलब्ध कृषि-निवेश के कृत्रिम उत्पाद जो प्रामाणिक और विश्वसनीय हैं जिनकी कीमत 8000 करोड़ अधिशेष राशि है। इन कृत्रिम उत्पादों का उपयोग करके किसानों को अरबों डॉलर की आय की क्षति पहुंचती है। ऐसे कृत्रिम उत्पाद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं इनके उपयोग से किसान को उपज और इसकी गुणवत्ता में भारी नुकसान उठाना पड़ता है और वे एक प्रकार से इनके द्वारा ठग लिए जाते हैं। तकनीकी इस प्रकार बनाई जाती है कि यह वास्तविक समय में मुख्य रूप से जलवायु में होने वाले परिवर्तनों, भौगोलिक क्षेत्र और मिट्टी की स्थिति का आंकलन करके कृषि के लिए बेहतर उपाय देने का काम करती है। यह सुनिश्चित करती है कि किसानों में कृत्रिम उत्पादों के उपयोग की समझ पैदा हो।
ऐसे ऐप्स बनाए गए हैं जो किसानों द्वारा उगाई जाने वाली उपज के लिए विशेष उपाय प्रस्तुत करते हैं। बिगहाट पर उपलब्ध क्रॉप डॉक्टर सोल्यूशन ऐप का मुख्य उद्देश्य किसानों के बीच व्यापक पहुंच बनाना और उन्हें आसानी से प्राप्त होने वाली उपज के विषय में उनकी क्षेत्रीय भाषा में तुरंत जानकारी देने के लिए तकनीकी मार्गदर्शन करना व सलाह देना है और वो भी एक ऑडियो द्वारा। यह फसल की स्थिति का विश्लेषण करके उसके लिए सही समाधान बता कर एक डॉक्टर की तरह काम करता है। यह उपज में होने वाली बीमारियों, कीटों और पोषक तत्वों की कमी की पहचान करता है और आवश्यकतानुसार किसानों को इस सम्बन्ध में तुरंत जानकारी देता है। तकनीकी और डेटा विज्ञान के आगमन के साथ ही मानव जाति ने मानो एक क्रांति की शुरुआत की है और दुनिया के नए आयामों में अपनी पहुंच बनाई है।
आगे बढ़ते हुए कृषि विकास के लिए तकनीकी का बड़े पैमाने पर उपयोग करना होगा। कृषि व्यवसाय तकनीकी संस्कृति अपनाने से होने वाले बदलाव का सामना कर रहा है। इस स्टार्ट-अप का उद्देश्य किसान समुदाय को समग्र रूप से सहायता के लिए वास्तविक समय में एआई/एमएल तकनीक द्वारा ज़मीनी स्तर पर सलाह देना व एक समर्थित उपाय प्रस्तुत करना है। उपज में होने वाली बीमारियों का जल्द पता लगाकर और उनका उपाय करके एक किसान अपनी उपज के 35% भाग को को खराब होने से बचा सकता है।
फ़िलहाल, कृषि में उपज पर विभिन्न कीटनाशकों के छिड़काव के लिए महत्वपूर्ण रूप से ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका उपयोग खेती के नियोजन के लिए मृदा और इसके विश्लेषण के लिए भी किया जा सकता है। यदि तकनीकी के साथ संयोजकता को सफलतापूर्वक अपनाया जाए तो हमारी कृषि कई गुना प्रगति कर पाएगी। और इसमें वैश्विक उपज से मेल खाने की योग्यता होगी। आने वाले समय में, उन्नत तकनीक जैसे कि मानसून सेंसर, हवाई चित्र और जीपीएस तकनीक का व्यापक पैमाने पर उपयोग, कृषि की उन्नति के मिश्रित विकास को परिभाषित करेगा।
“किसानों के भविष्य को बदलने” के अपने विज़न के साथ बिगहाट, कृषि क्षेत्र के डिजिटल परिवर्तनों का प्रतिनिधित्व करने में हमेशा सबसे आगे रहा है। हम तकनीकी का फ़ायदा उठाकर किसानों के लिए नवप्रवर्तन करना और विभिन्न उपायों को खोजना जारी रखेंगे और भारतीय कृषि के खोए हुए गौरव को वापस लाने के लिए किसानों के रोज़गार को बेहतर करेंगे।
लेखक – सतीश नुकाला – बिगहाट के सीईओ और सह-संस्थापक है।