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देहरादून । उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब के वन अधिकारियों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला “राज्य रेड + कार्य योजना विकसित करने हेतु राज्य वन विभाग की क्षमता बढ़ाना” विषय पर आयोजित की जा रही है। श्री अरुण सिंह रावत, भा.व.से., महानिदेशक आईसीएफआरई तथा मुख्य अतिथि द्वारा राष्ट्रीय वन पुस्तकालय एवं सूचना केंद्र (एनएफएलआईसी) में कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण रेड + प्रमुख है जिससे वनों के संरक्षण, वनों के सतत् प्रबंधन तथा वन कार्बन स्टॉक वृद्धि दर्शाते हुए वनों के कटान एवं निम्नीकरण कर उत्सर्जन को कम करता है। रेड + यूएनएफसीसीसी के तहत जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण के रूप में अब व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है।
श्री अनुराग भारद्वाज भा.व.से., निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, देहरादून द्वारा इस कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य पर संक्षिप्त रूप से कहा कि वन कवर परिवर्तन, वन कटान एवं न्यूनीकरण तथा कार्बन पृथक्करण के कारकों की प्रवृत्ति एवं स्थिति को समझते हुए इस मुद्दों को समाधान हेतु एक सशक्त राज्य रेड + प्लस कार्ययोजना की आवश्यकता है। इस योजना हेतु बजट एवं मॉनीटरिंग मध्यस्थता पैकेज की आवश्यकता होगी जिसमें बहू-हितधारक परामर्श प्रक्रिया की आवश्यकता होगी।
डॉ. के थॉमस, भा.व.से., एपीसीसीएफ (अनुसंधान), कानपुर तथा वास्वी त्यागी, भा.व.से., दक्षिण गुरुग्राम हरियाणा द्वारा इस कार्यशाला में उनके राज्यों की तैयारी तथा उम्मीदों पर अपने–अपने विचार व्यक्त किए गए। डॉ. इंदु के. मूर्थी, प्रधान अनुसंधान वैज्ञानिक, बंगलूर द्वारा भारतीय वनों पर जलवायु पतिवर्तन के प्रभाव पर ऑनलाइन प्रस्तुति दी गई। डॉ. वीआरएस रावत, पूर्व सहायक, महानिदेशक (वीसीसी), आईसीएफआरई तथा डॉ. आर.एस. रावत, वैज्ञानिक, एवं रेड प्लस विशेषज्ञ, जैव विविधता जलवायु परिवर्तन प्रभाग, आईसीएफआरई राष्ट्रीय संसाधन (विशेषज्ञ) के रूप में कार्यशाला का संचालन करेगें। डॉ. भाष्कर सिंह कार्की एवं श्री नबीन भट्टाराई, आईसीआईमोड नेपाल इस कार्यशाला हेतु ऑनलाइन अंतराष्ट्रीय विशेषज्ञ होंगे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. विजेन्द्र पँवार, प्रमुख, वन परिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग द्वारा किया गया। इस दौरान श्री राजेश शर्मा, एडीजी, बीसीसी, डॉ. एन.के. उप्रेती, समूह समन्वयक, एफआरआई, सभी प्रभाग प्रमुख, डॉ. साधना त्रिपाठी, मुख्य पुस्तकालयाध्यक्ष, एफआरआई, आईसीएफआरई / एफआरआई के वैज्ञानिक तथा शोधार्थी उपस्थित थे। श्री एन. बाला, वैज्ञानिक-जी एफआरआई के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।