उत्तराखंड में जिस उद्देश्य से गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम की स्थापना की गई थी उस उद्देश्य में कहीं न कहीं हम अब पिछड़ चुके हैं। जब इस मंडल की स्थापना की गई थी तब यही उम्मीद की गई थी कि इस जीएमवीएन एवं केएमवीएन के माध्यम से प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा एवं बाहरी पर्यटकों के आवश्यकता अनुसार हर प्रकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप किया जाएगा जहां पर पर्यटक आराम से पर्वतीय क्षेत्रों का भ्रमण करें।
जीएमवीएन एवं केएमवीएन के माध्यम से सरकार ने यह भी उम्मीद की थी कि इससे उत्तराखंड के लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिलेगा एवं उत्तराखंड के किसानों के लिए फल -सब्जी, जड़ी – बूटियां एवं अन्य उत्पादों के लिए एक अच्छी मार्केटिंग की व्यवस्था हो जाएगी और उनके उत्पाद के खपत बढ़ जाएगा जिससे उत्तराखंड के लोगों को आर्थिक लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर देखे तो सरकार को एक ऐसी इकोसिस्टम का निर्माण करना था जो कि प्रदेशवासियों के लिए लाभप्रद हो एवं अन्य प्रदेशों से आए पर्यटकों के लिए भी लुभावनी एवं व्यवस्थित हो।
वर्तमान समय में अगर हम गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम की बात करें तो पूरे प्रदेश में हम यह देख सकते हैं कि जितने भी गेस्ट हाउस इन निगमो के है उनकी स्थिति अच्छी नहीं है और ना ही उनका अच्छी तरह से रखरखाव किया जा रहा है। जो भी स्टाफ नियुक्त किए जा रहे हैं उनकी ट्रेनिंग प्रोफेशनल नहीं है। वहीं पर आप देख सकते हैं कि जितने भी उत्तराखंड के अंदर प्राइवेट गेस्ट हाउस एवं होमस्टे है वहां पर पर्यटकों को उच्च कोटि की व्यवस्थाएं मिलती है एवं उच्च गुणवत्ता वाले हाइजीन भोजन भी खाने को मिलता है। वही जितने भी बावर्ची प्राइवेट गेस्ट हाउस एवं होमस्टे के है वे सब प्रोफेशनल हैं। जो उत्तराखंड आए पर्यटकों को अच्छी सुविधा देते हैं एवं उनका दिल जीत लेते हैं।
हमारे गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम के कुछ ऐसे प्रॉपर्टी है जहां पर वर्तमान व्यवस्था को सुधारकर और अच्छा किया जा सकता है एवं मुनाफा भी अधिक कमाया जा सकता है। अगर राज्य सरकार चाहे तो गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम का कुछ अंश “पीपीपी“ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के आधार पर एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ इच्छुक संस्थानों को दे जो इस काम को प्रोफेशनल तरिके के करना चाहते है और यह सुनिश्चित करे कि उन प्रोजेक्ट का रखरखाव एवं संचालन व्यवस्था भी वही संस्था अच्छे से करें।
इसमें कोई शक की बात नहीं है कि जितना जगह गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस के पास है वह अन्य प्राइवेट संस्थानों के पास नहीं है। हमें इन सभी जगहों का सौ फिसदी फायदा उठाकर एक ऐसे मॉडल का निर्माण करना चाहिए जिसके माध्यम से गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम के सालाना आय को दोगुनी करनी चाहिए जो आने वाले 5 से 10 सालों में कई गुना भि हो सकता है।
उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति के सदस्यों ने विगत वर्षों के दौरान कई ऐसे गेस्ट हाउसों का दौरा किया है और पाया है कि इन जगहों पर डेवलपमेंट कि जरूरत है एवं आकलन किया है कि इन जगहों पर व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित किया जा सकता है और निगम के आय को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम के कई गेस्ट हाउसों ऐसे हैं जहा पर रोजगार को और बढ़ावा दिया जा सकता है साथ ही साथ लोकल जो किसान हैं उनकी भी आयो को बढ़ाया जा सकता है एवं एक ऐसा इकोसिस्टम का निर्माण किया जा सकता है जिससे परस्पर सभी वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचे एवं आने वाले पर्यटकों को भी अच्छी सुविधा मुहैया हो।
उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति ने इन क्षेत्रों के लिए जो विकास का मॉडल बनाया है उसके अंतर्गत गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम के अंतर्गत अन्य सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है साथ ही साथ लघु एवं कुटीर उद्योग से जुड़े हुए लोगों के लिए मार्केटिंग की अच्छी व्यवस्था की जा सकती है एवं जो हमारे स्थानीय लोक कलाकार हैं उन सब के लिए भी रोजगार के नये रास्ते खुल सकते है। फलों एवं सब्जी की खेती करने वाले किसान एवं जड़ी बूटी की खेती करने वाले किसान के साथ-साथ हथकरघा एवं हस्तशिल्प से जुड़े हुए लोगों को भी रोजगार का अच्छा अवसर प्राप्त होगा। पर्यटन से जुड़े हुए लोगों के लिए भी यह मील का पत्थर साबित होगा जहां पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग मुहैया कराई जाएगी। वहीं वर्तमान में कार्यरत जो भी बावर्ची है उन सभी को अंतरराष्ट्रीय स्तर के बावर्ची के साथ ट्रेनिंग कराना एवं उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा उत्तराखंड के आए हुए लोगों को मुहैया कराना भी शामिल है।
वर्तमान में जो लोग पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हुए लोग हैं उन सभी को देश-विदेश से आए हुए पर्यटकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा उपलब्ध करना एवं एक ऐसा नेटवर्क विकसित करना भी शामिल है जिसके माध्यम से उत्तराखंड में जो भी पर्यटक आए वह अपना वक्त ज्यादा से ज्यादा हमारे प्रदेश में बिताए। पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा उत्तराखंड के संस्कृति, कला, परंपरा एवं पारंपरिक भोजन से रूवरू कराया जाए एवं उत्तराखंड के साअंदरूनी भागों को एक्सप्लोर करने के लिए कहा जाए ताकि पर्यटकों को उत्तराखंड के अंदर ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने का मौका मिले एवं प्रदेश के लोगों की आय बढ़े। यह सब एक इको सिस्टम डिवेलप करने के बाद ही प्रभावी रूप से चलाया जा सकता है और उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति की जो टीम है उनको अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक्सपोजर प्राप्त है जिसके माध्यम से वह उत्तराखंड में पर्यटकों के लिए कई ऐसे मॉडल का विकास करने का प्रयास कर रहे हैं जिससे उत्तराखंड के लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके।
अगर सरकार इजाजत दे तो उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के आधार पर कुछ गेस्ट हाउस को समिति अपने अधिन कर मुनाफे में ला सकती है एवं समिति यह साबित करेगी कि इस तरह के मॉडल को अपनाने से उत्तराखंड के अंदर न्ये रोजगार को बढाया जा सकता है साथ ही साथ पर्यटन एवं अन्य पेशे से जुड़े हुए लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है।