देहरादून।आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र सिंह आनंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी का उत्तराखंड में स्वागत करते हुए कहा कि साढ़े चार साल तक क्यों प्रधानमंत्री जी ने रूख नहीं किया। अब जबकि चुनाव सर पर है और उनको लग रहा है कि भाजपा की सियासी जमीन खिसकने वाली है तो उनको उत्तराखण्ड की जनता की याद आई है। बताते चलें कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी उत्तराखण्ड दौरे पर थे जहां उन्होंने जनता को संबोधित भी किया। आप प्रवक्ता रविंद्र सिंह आनंद का कहना है कि अब जबकि चुनाव सर पर है और जनता ने भाजपा को सिरे से नकार दिया है, मोदी जी को भी उत्तराखण्ड में सियासी जमीन खिसकती हुई दिखाई दे रही है तो मोदी जी को उत्तराखण्ड की याद आई है। पौने पांच साल तक क्यों उनको उत्तराखण्ड की जनता की कोई सुध नहीं थी। जबकि 2017 के चुनावी रैली में एक स्थिर सरकार देने का वादा किया था तब भी तीन तीन चेहरे बदल कर भाजपा ने जनता को छलने का काम किया है। एक के बाद एक जनता पर मुख्यमंत्री थोपे गए। भाजपा की असलियत इन पौने पांच साल में जनता के सामने आ गई है। रविंद्र आनंद ने कहा कि यदि मोदी जी अपने इस दौरे को चुनाव के मददेनजर रखते हुए कोई चुनावी फायदा लेना चाहते है तो वह अब मुमकिन नहीं है। जनता सब जानती है और समझती है कि जिन प्रधानमंत्री जी ने उनकी पौने पांच साल कोई सुध नहीं ली वे अब उनके बीच क्या करने आए है। वहीं दूसरी ओर रविंद्र सिंह आनंद ने लखीमपुर खरी मामले में भी प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि लखमपुर खीरी मामले पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। अभी तक उनकी ओर से कोई भी प्रतिक्रिया न आना अपराधियों का प्रोत्साहन बढ़ा रहा है।ज्ञात हो कि लखीमपुर खीरी में भाजपा के केंद्रीय राज्य मंत्री के पुत्र द्वारा किसानों की बहुत ही निर्मम तरीके से हत्या की गई। जिस पर अभी तक भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है। रविंद्र आनंद ने कहा कि यह भाजपा का असली चेहरा दिखाता है कि जो भी विपक्षी पार्टी के नेता चाहे है आम आदमी पार्टी से हो या किसी अन्य से पीड़ित किसानों से मिलने जाना भी चाह रहे थे कि उनको सांत्वना दे सकें उनके दुख में शरीक हो सकें उनको गिरफतार कर लिया गया। रविंद्र सिंह आनंद ने प्रधानमंत्री श्री मोदी जी से सवाल किया है कि क्या ये किसान जो मारे गए है वे किसी और देश से थे जो अभी तक प्रधानमंत्री मोदी जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। या वे अभी तक इतना बवाल होने के बाद भी इस पूरे मामले से अनभिज्ञ है। यहां पूरा देश जानना चाहताा है कि जहां एक ओर हम पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहे थे जो कि हमेशा से किसानों के हितैशी रहे है और दूसरी ओर किसानों की हत्याएं हो रही थी। और स्वयं को किसानों की सेवक कहने वाले हमारे प्रधानमंत्री उस वक्त कहां आंखे मूंद के बैठे थे।