मेटा ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए भारत में सुरक्षा पहलों की घोषणा की

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देहरादून ,3 दिसंबर, 2021: विभिन्न प्लेटफॉर्म्‍स पर यूजर्स को सुरक्षित ऑनलाइन अनुभव देने की दिशा में सुरक्षा मेटा की प्रतिबद्धता का अभिन्न हिस्‍सा रही है। इन वर्षो में कंपनी ने यूजर्स को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए इंडस्ट्री का नेतृत्व करने वाली कई पहलें की हैं। यूजर्स की सुरक्षा को और बढ़ाने की कवायद में, मेटा ने आज कई पहलों की घोषणा की, जिसका उद्देश्य अपने प्लेटफॉर्म्‍स पर महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करना है।

• StopNCII.org – मेटा द्वाराघोषित यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उददेश्य आपसी सहमति के बिना पोस्ट की गई अंतरंग तस्वीरों के प्रसार को रोकना है। यूके रिवेंज पोर्न हेल्पलाइन के साथ साझेदारी में StopNCII.org की बुनियाद मेटा के एक इमरजेंसी प्रोग्राम एनसीआईआई पायलट पर रखी गई है,जो संभावित पीड़ितों को अपनी अंतरंग तस्वीरों को हैश करने की इजाजत देता है, जिससे उनका हमारे प्लेटफॉर्म पर प्रसारण न किया जा सके।

• वुमन्‍स सेफ्टी हब- इसे हिंदी तथा 11 अन्य भारतीय भाषाओं में लॉन्च किया गया। वुमन सेफ्टी हब भारत में ज्यादा से ज्यादा महिला यूजर्स को अपनी सुरक्षा के लिए टूल्स और रिसोर्सेज के बारे में जानकारी देने में सक्षम बनाएगा, जिससे उन्हेंल अपने सोशल मीडिया एक्समपीरियंस के दौरान ऑनलाइन सुरक्षित रहने में मदद मिलेगी। मेटा की यह प्रमुख पहल खासतौर पर उन लाखों महिलाओं के लिए की गई है, जो अंग्रेजी बोलती और समझतीं नहीं है। यह पहल सुनिश्चित करेगी कि इन महिलाओं को भाषा की रुकावटों का सामना न करना पड़े और वे आसानी से सूचना हासिल कर सके, जो उन्हें ऑनलाइन सुरक्षित रखने में सक्षम बनाएगी।      

• पॉइंट ऑफ व्यू की कार्यकारी संपादक बिशाखा दत्ता और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च में मीडिया एंड कम्युनिकेशन्स विभाग की हेड ज्योति वढेरा मेटा ग्लोबल वुमन सेफ्टी एक्सपर्ट एडवाइजर्स की पहली भारतीय सदस्य हैं। इस ग्रुप में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के 12 गैर लाभकारी नेता, कार्यकर्ता और शैक्षणिक विशेषज्ञ शामिल हैं, जिसके साथ विचार-विमर्श कर मेटा अपनी ऐप्स पर महिलाओं की बेहतर ढंग से मदद के लिए नई नीतियां, प्रॉडक्ट्स और प्रोग्राम का निर्माण करता है।  

• इस अवसर पर सत्व कंसंलटिंग की ओर से “कनेक्ट, कोलैबोरेट एंड क्रिएट :  वुमन एंड सोशल मीडिया ड्यूरिंग द पैनेडमिक” पर परिचर्चा पत्र (डिस्कशन पेपर) रिलीज किया, जिसका शीर्षक “कनेक्ट, कोलैबोरेट एंड क्रिएट :  वुमन एंड सोशल मीडिया ड्यूरिंग द पैनेडमिक” था। मेटा की ओर से बनाए गए ग्रुप से जारी किया यह पेपर भारत में सोशल मीडिया पर मौजूद भारी लैंगिक असामानता का मुकाबला करने के उपायों पर प्रकाश डालेगा।  

मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक में ग्लोबल सेफ्टी पॉलिसी की निदेशक करुणा नैन ने कहा, “मेटा में सुरक्षित ऑनलाइन अनुभव का माहौल बनाना हमेशा हमारी प्राथमिकता और प्रतिबद्धता रही है। महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए किए गए हमारे प्रयास इंडस्ट्री को नई राह दिखा रहे हैं। हम ऑनलाइन सुरक्षित माहौल बनाना सुनिश्चित करने के लिए लगातार नए-नए उपाय करते रहते हैं। आज इस पहल की पेशकश हमारी प्रतिबद्धता की दिशा में अगला कदम है। हमें पूरा विश्वास है कि हमारे लगातार बढ़ते सुरक्षा उपायों से महिलाएं सोशल मीडिया का आंनद उठाएंगी, जो उन्हें चुनौतियों के बिना नई-नई बातें सीखने, एक-दूसरे से जुड़ने और आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगा।”    

ग्लोबल लेवल पर शुरू किए गए, StopNCII.org को सुरक्षा, गोपनीयता और यूजर्स को पूरी सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यूके रिवेंज पोर्न हेल्पलाइन की ओर से संचालित और मेटा द्वारा निर्मित StopNCII.org दुनिया भर में महिलाओं को बिना आपसी सहमति के अंतरंग तस्वीरों (एनसीआईआई) के प्रसार और फैलाव पर रोक लगाएगा। अपनी तरह के पहले प्लेटफॉर्म ने एनसीआईआई से पीड़ित महिलाओं को समर्थन देने के लिए ग्लोबल संगठनों से साझेदारी की है। भारत में इस प्लेटफॉर्म ने कई संगठनों, जैसे सोशल मीडिया मैटर्स, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च और रेडडॉट फाउंडेशन से साझेदारी की है।

मेटा के सेफ्टी एक्सपर्ट एडवाइजरी बोर्ड में भारतीय सदस्यों की नियुक्ति पर करुणा ने कहा, “भारत हमारे लिए महत्वपूर्ण बाजार है। विशाखा और ज्योति के वुमन्स सेफ्टी एक्सपर्ट एडवाइजरी ग्रुप में आने से हमें भारत में महिलाओं के लिए अपने प्लेटफॉर्म्‍स को सुरक्षित बनाने के प्रयासों को रफ्तार मिलेगी।”  

मेटा के ग्लोबल वुमन सेफ्टी एक्सपर्ट एडवाइजर्स में अपनी नियुक्ति पर सेंटर फॉर सोशल रिसर्च में मीडिया एंड कम्युनिकेशन्स विभाग की हेड ज्योति वढेरा ने कहा, “भारत दुनिया भर में डिजिटल विकास का नेतृत्व कर रहा है। डिजिटल रूप से ज्यादा समग्र सुरक्षा का माहौल बनाने के केंद्र में मेटा है। भारतीय नजरिये से महिलाओं की सुरक्षा के इर्द-गिर्द नई पहल करने का मौका मिलना गर्व की बात है और एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मैं मेटा वुमन्स सेफ्टी एडवाइजरी बोर्ड का हिस्सा बनने से काफी प्रसन्न हूं।”

वुमन्स सेफ्टी हब उन सभी सुरक्षा संसाधनों की मेजबानी करता है, जिसकी जरूरत महिलाओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आने के बाद पड़ती है। इसमें महिलाओं, पत्रकारों और पीड़ितों के लिए खासतौर से रिसोर्सेज को शामिल किया गया है। इसके अलावा इसमें ऑन डिमांड सेफ्टी ट्रेनिंग का वीडियो भी शामिल होगा। इसके अलावा यहां विजिटर्स को अलग-अलग भाषाओं में लाइव सेफ्टी ट्रेनिग के लिए भी अपना रजिस्ट्रेशन कराने की इजाजत मिलेगी। दुनिया भर के गैर-लाभकारी पार्टनर्स से विचार विमर्श के बाद विकसित किया गया यह सेफ्टी हब अंग्रेजी के अलावा हिंदी, मराठी, पंजाबी, गुजराती, तमिल, तेलुगू, बंगाली, ओडिया,  असमी, कन्नड और मलयालम में भी उपलब्ध होगा।
सत्व कंसंलटिंग द्वारा “कनेक्ट, कोलैबोरेट एंड क्रिएट :  वुमन एंड सोशल मीडिया ड्यूरिंग द पैनेडमिक” पर पेश किए गए परिचर्चा पत्र में सोशल मीडिया पर मौजूद लैंगिक असमानता के मुख्य मुद्दे पर प्रकाश डाला गया। इस पेपर मे यह खासतौर पर जिक्र किया गया कि भारत में 67 फीसदी पुरुषों के मुकाबले केवल 3 फीसदी महिलाएं सोशल मीडिया का प्रयोग करती हैं। सेकेंडरी रिसर्च तथा लोगों और नागरिक समाज संगठनों से बातचीत पर आधारित यह पेपर लैंगिक असमानता को कम करने का सुझाव देता है। पुरुषों और महिलाओं में सोशल मीडिया का प्रयोग करने में असमानता ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सीमित कनेक्टिविटी, स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे डिवाइसेज का न होना और खराब डिजिटल साक्षरता जैसी समस्याओं से और ज्यादा बढ़ी है। इस पेपर में खासतौर पर महामारी के दौरान सोशल मीडिया के महिलाओं पर हुए सकारात्मक आर्थिक, सामाजिक,  मानसिक और भावनात्मक प्रभाव को भी उभारा गया।  

मेटा में इंडिया के पॉलिसी प्रोग्राम्स और आउटरीच हेड मधु सिंह सिरोही ने कहा, “पिछले दिनों जब जिंदगी की सामान्य रफ्तार से चल रही गाड़ी पटरी से उतर गई थी, तब सोशल मीडिया ने लोगों के व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। इससे लोग न केवल अपने परिजनों और मित्रों से जुड़ सके, बल्कि वह अपने बिजनेस का संचालन करने में भी सक्षम हो पाए। अपनी हाल मेंही गई पहलों से हम समझते हैं, यह हमारे लिए महिलाओं पर सोशल मीडिया का सकारात्मक असर डालने का बड़ा मौका है। इससे समग्र रूप से डिजिटल कमियों को दूर किया जाएगा। इससे महिलाओं का सुरक्षित माहौल में ऑनलाइन जुड़ना सुनिश्चित होगा।“    

मेटा ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं, चाहे वह छेड़छाड़ करने, धमकाने, परेशान करने, मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ना देने के खिलाफ विभिन्न ग्लोबल हितधारकों से विचार विमर्श कर मजबूत नीतियां बनाने की बात हो या अंतरंग तस्वीरों को शेयर करने पर रोक लगाने के लिए तकनीकी बदलाव करना हो। कई सुरक्षा संगठन यूजर्स की रिपोर्ट के लिए हमारे साथ एक विश्वसनीय साझीदार के रूप में काम कर रहे हैं। यह सभी पहल हमारे प्लेटफॉर्मों  पर महिलाओं को किसी भी तरह की परेशानी या उत्पीड़न से बचाने में किए जा रहे मेटा के प्रयासों का हिस्सा है। इससे वह खुलकर अपने को अभिव्यक्त कर सकेंगी और दुनिया भर में इंटरनेट पर मौजूद अवसरों का लाभ उठा सकेंगी।    

मेटा प्लेटफॉर्म इंक.
मेटा तकनीक का निर्माण करती है, जिससे लोगों को एक-दूसरे से कनेक्ट होने, कम्युनिटीज की तलाश करने और अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है। जब फेसबुक 2004 में लॉन्च किया गया, इसने लोगों के एक दूसरे से जुड़ने के तरीके को बदल दिया। मैसेंजर, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसी ऐप से दुनिया भर में खरबों लोगों को सशक्त बना दिया है। अब मेटा 2डी स्क्रीन से आगे बढ़कर आग्युमेंटेड औक वर्चुअल रिएलिटी के क्षेत्र में दिलचस्प अनुभव प्रदान करने की दिशा में बढ़ रहा है। इससे सोशल टेक्नोलॉजी में विकास की अगली इबारत गढ़ने में मदद मिलेगी।      

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