देहरादून।देश ही नही अपितु उत्तराखंड में भी मुस्लिम सबसे बड़ी उल्पसंख्यक आबादी है और सिर्फ इतना ही नही उत्तराखंड में मुस्लिम सबसे बड़ी दूसरी आबादी है। यह बात मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैषी ने प्रैस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कही। पत्रकारों से वार्ता के दौरान उन्होेंने बतायाा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड में 80.97 हिन्दू आबादी,13.95 मुस्लिम आबादी, सिख 2.34 और इसाईयों की आबादी 0.37 है। 11 साल गुजर जाने के उपरान्त यह बात पूरी तरह से निश्चित है इस आंकड़ों में बड़ोतरी हुई है पर यह विडम्बना है कि उत्तराखंड बनने के बाद भी मुस्लिम समाज जो सबसे बड़ी दूसरी आबादी है अनुपात के हिसाब से उसे राजनैतिक प्रतिनिधित्व नही मिला है।
सियासत में भागीदारी हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। उत्तराखंड ने अपने अस्तित्व में आने के बाद समुदाय विशेष अपने अधिकारों से वंचित क्यों है यह सवाल तो मस्तिषक में मानो जैसे भ्रमण कर रहा हो। जनसंख्या का आंकलन किया जाये तो समुदाय विशेष लगभग 14 प्रतिशत जनसंख्या का कुल हिस्सा है। परंतु ये समाज आज भी प्रदेश का सबसे वंचित और शोषित समाज है। सत्ता में इसकी भागीदारी विधानसभा के पटल पर न के बराबर ही रही है। उन्होंने यह भी कहा कि तथाकथित सेक्युलर पार्टियों ने इस समुदाय को केवल वोट बैंक का साधन मात्र ही समझा है। आज बेरोजगारी, महंगाई, बढ़ती दरे, पलायन और गिरती स्वास्थ सेवाओं जैसे मुददे के बीच ये मुददा कहीं खोया हुआ नजर आता है। यह समाज इन मुददों से सबसे ज्यादा प्रभावित है।
सच्चर कमेटी ने इस बात पर विशेष जोर दिया है कि सियासी दलों को मुस्लिम आबादी के आधार पर कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि मुस्लिम समाज का सर्वागीण विकास हो सके परन्तु अफसोस किसी भी राजनैतिक पार्टी ने उत्तराखंड बनने के बाद से ऐसा नही किया है। सत्ता की धुरी इन ज्वलंत मुददों का उत्तर है तथाकथित सेक्युलर पार्टियों को ये सुझाव भी है और चेतावनी भी कि प्रदेश में कम से कम 14 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की डेढ़ दजन से अधिक सीटों पर समाज निर्णायक भूमिका में होते हुए भी सदन में उचित प्रतिनिधित्व न मिलना इस सेक्युलर पार्टियों के दोहरे चरित्र को दर्शाता है। अंत में उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश की मुस्लिम बाहुल विधान सभा सीटों पर इन सेक्युलर पार्टियों ने उचित भागीदारी सुनिश्चित नही की तो हमारा संगठन इन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार कर लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदारी स्वयं सुनिश्चित करेगा।