देहरादून : उत्तराखंड के सितारें देश भर में धमाल मचा रहे हैं। देहरादून में रहने वाले शुभ सहोता का छोटी-छोटी गल्लां गाना 12 नवम्बर को जानी-मानी म्यूजिक कंपनी टी-सीरीज पर रिलीज हो रहा है। इसकी खासियत ये है कि ये पूरा गाना उत्तराखंड में शूट किया गया है। इसमें एक्ट्रेस की भूमिका पंजाबी एक्ट्रेस और कई टीवी शो करने वाली रुम्मन अहमद ने निभाई है।प्लुनेक्स प्रोडक्शन की प्रस्तुति छोटी-छोटी गल्लां टी-सीरीज अपना पंजाब पर रिलीज़ होने के साथ ही उत्तराखंड की सुंदरता देखने का मौका एक बार फिर से सबको मिल पाएगा। इस गाने में देहरादून की राजपुर रोड के साथ ही रायपुर स्थित गुरुद्वारा नानकसर के दृश्य दिखाई देंगे। गाने के सिंगर, एक्टर, राइटर और कंपोसर शुभ सहोता उत्तराखंड के ही रहने वाले हैं। शुभ ने बताया कि गाने के डायरेक्टर सिद्धार्थ शर्मा और सेमी, प्रोड्यूसर अजय ढोडियाल और रघुवीर सिंह हैं। शुभ ने बताया कि प्लुनेक्स का प्रयास है उत्तराखंड के पलायन को रोकना और इस दिशा में ही हम काम कर रहे हैं।बताया कि उत्तराखंड के अलावा मुम्बई और पंजाब में जो यहां के लोग काम कर रहे हैं।सबको साथ लेकर काम किया जा रहा है। कहा कि क्यों यहां का आर्टिस्ट मुम्बई जाए जबकि हम उसी क्वालिटी के साथ काम करते हुए मुम्बई के आर्टिस्टों को यहां ला रहे हैं। इससे पहले प्लुनेक्स की ओर से मेरा माही गाने की प्रस्तुति की गई थी। जिसको ज़ी म्यूजिक कम्पनी ने रिलीज किया। इस गाने की भी पूरी शूटिंग चकराता और मसूरी में कई गयी थी। उन्होंने कहा कि हमारी वेबसाइट पर जाकर आप हमारे गानों सहित कार्यों की पूरी जानकारी ले सकते हैं
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रुद्रप्रयाग में रिफ्लेक्सोलॉजी के लिए प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया
Spread the loveदेहरादून:चार धाम यात्रा और 15 चयनित ट्रेकिंग ट्रैक्शन सेंटर के पास रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) की ओर से उत्तरकाशी में एक महीने और रुद्रप्रयाग में 15 दिनों तक रिफ्लेक्सोलॉजी (पैरों की थेरपी) के लिए प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया जा रहा है। यह निशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड जम्मू, कटरा के चार विशेषज्ञों की अध्यक्षता में आयोजित किया जाएगा। दोनों जगह होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में करीब 70 से अधिक लोग हिस्सा लेंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम 23 नवंबर से शुरू किया गया।: प्रशिक्षण कार्यक्रम के संबंध में मंगलवार को सुभाष रोड स्थित अपने कैंप कार्यालय में पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि रिफ्लेक्सोलॉजी (पैरों की मसाज) हमारी प्राचीन चिकित्सा हैरिफ्लेक्सोलॉजी एक प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा है, जो भारत साहित अन्य एशियाई देशों में काफी प्रचलित है। रिफ्लेक्सोलॉजी एक ऐसी थ्योरी पर काम करती है जो शरीर के अंगों और तंत्रों से जुड़ी होती है। शरीर के कुछ अंगों पर दबाव देने से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैंरिफ्लेक्सोलॉजी की सभ्य कला आपके पैरों, हाथों और कानों पर स्थित विशिष्ट प्रतिबिंब बिंदुओं पर मालिश पर केंद्रित है जो आपके शरीर के हर क्षेत्र से मेल खाती हैयह पहल श्री गंगोत्री धाम, श्री केदारनाथ धाम समेत ट्रेकिंग में आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगीपर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह प्रशिक्षण निश्चित रूप से चार धाम और अन्य स्थानों पर जाने वाले हमारे तीर्थयात्रियों के लिए मददगार साबित होगा। इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के द्वार भी खुलेंगे। पर्यटन सचिव श्री दिलीप जावलकर ने बताया कि रिफ्लेक्सोलॉजी चिकित्सा विधि में बिना तेल या लोशन का इस्तेमाल किये अंगूठे, अंगुली और हस्त तकनीक द्वारा पैर और हाथ पर दबाव डाला जाता है। पैरों की थेरपी करने से तनाव काफी कम हो जाता है। यह चिकित्सा ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करता है और व्यक्ति को शांति और आराम मिलता है। कई लोग बीमारी के शारीरिक लक्षणों, जैसे कि सिरदर्द, थकान और अनिद्रा के साथ मदद करने के लिए रिफ्लेक्सोलॉजी उपचार की तलाश करते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस 2,000 साल पुरानी मालिश चिकित्सा का ज्ञान और तकनीक बौद्ध भिक्षुओं के गुप्त रहस्य थे। जिन्हें जीवित रखा गया और पीढ़ियों से पारित किया गया। यूटीडीबी के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक पर्यटन) कर्नल अश्विनी पुंडीर ने कहा कि प्रशिक्षित फुट थेरेपिस्ट रिफ्लेक्सोलॉजी के लिए 150 से 300 रुपये लेते हैं और प्रति दिन 1000 से 1500 रुपये तक कमा सकते हैं। इतना ही नहीं इससे तीर्थयात्रियों/पर्यटकों/ट्रेकरों को देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ों पर चलते हुए बहुत राहत भी मिलेगी। दुनिया भर में बड़ी संख्या में रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट इस तरह की सुविधा दे रहे हैं।