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नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड देशदुनिया के पर्यटकों के लिए सबसे पंसदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन

नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड देशदुनिया के पर्यटकों के लिए सबसे पंसदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनता जा रहा हैन सिर्फ मसूरी, नैनीताल जैसे पर्यटक स्थल बल्कि औली, खिर्सू, चोपता जैसे तमाम स्थान भी उनके पसंदीदा स्थलों में से शामिल हैंहिमालय की गोद में स्थित उत्तराखंड देवों की भूमि के नाम से प्रसिद्ध हैउत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों के कारण भारत की प्रमुख पर्यटन स्थलों की गिनती में बेशुमार है जिसे निहारने दुनिया भर से लोग प्रतिवर्ष यहां आते हैंइस लेख के जरिए हम आपको उत्तराखंड के उन प्रसिद्ध स्थलों की जानकारी देंगे, जहां आप अपनी सर्दियों की छूट्टियों को यादगार बना सकते हैंऔली- भारत के उत्तराखंड में स्थित औली हरेभरे देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ हैयह स्थान विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों के लिए घर होने के अलावा, यह कई तरह के साहसिक गतिविधियों जैसे स्कीइंग, ट्रेकिंग और कैम्पिंग के लिए जाना जाता है। औली के उत्तर में, बद्रीनाथ मंदिर है जो हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां पर आपको एक और अन्य आकर्षण वैली ऑफ फ्लॉवर्स नेशनल पार्क है जो अल्पाइन वनस्पतियों और वन्यजीव जैसे हिम तेंदुओं और लाल लोमड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटकों के बीच बढ़ती लोकप्रियता चलते औली पर्यटकों के लिए मनपसंद गंतव्य में से एक है। मसूरी- मसूरी  उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत और लोकप्रिय जगहों में से एक हैइसे पहाड़ों की रानी भी कहा जाता हैमसूरी, देहरादून से लगभग 35 किलोमीटर दूर हैयहां हर साल लाखों लोग अपनी फैमिली, दोस्तों के साथ कैम्पटी फॉल, गन लेक और मसूरी लेक जैसी जगहों पर घूमने आते हैंचोपता- चोपता उत्तराखंड में केदारनाथ की अद्भुत घाटी में बसा एक छोटा गांव है जोकि एक बहुत ही आकर्षक पर्यटन स्थल हैचोपता ट्रेक सर्दियों के मौसम में ट्रेकिंग करने के लिए भारत के सबसे अद्भुद और रोमांचक ट्रेकों में से एक है जो बड़ी संख्यां में ट्रेकर्स और पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। वास्तव में सर्दियों के मौसम में बर्फ से ढके हिमालय के पहाड़ों के बीच ट्रेकिंग करना जीवन के सबसे शानदार अनुभवों में से एक है। चमोली- चमोली उत्तराखंड में सर्दियों में घूमने लायक महत्वपूर्ण जगहों में से एक है खासकर भगवान शिव के मंदिर के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध हैंगोपेश्वर पर्यटन के दौरान चमोली जिले में आने वाले पर्यटक गढ़वाल हिमालय पर होने वाली ट्रेकिंग के लिए जाना पसंद करते हैं ट्रेकिंग के दौरान प्रकृति प्रेमी यहाँ कि सुन्दर वादियों और खूबसूरत दृश्यों का लुत्फ़ उठाना नही भूलते हैंखिर्सू- उत्तराखंड के पौड़ी जिले में पड़ने वाला छोटा सा गांव खिर्सू अपनी प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटकों को खासा लुभाता हैखिर्सू उत्तराखंड के खूबसूरत और शांत पर्यटन स्थलों में से एक है इस छोटे से गांव में बांज, देवदार, चीड़, बुरांश के पेड़ों बीच पक्षियों का कलरव सुनाई देता हैयहां से आप बर्फ से ढकी चोटियों की मनोरम श्रृंखला देख सकते हैंधनोल्टी- गढ़वाल हिमालय श्रृंखला की तलहटी में मौजूद धनोल्टीएक मनभावक हिल स्टेशन हैयह भारत की राष्ट्रीय राजधानी के करीब है और समुद्र तल से 2286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैयहां आप ऊंचेऊचे हिमालय के खूबसूरत नजारों का भरपूर मजा ले सकते हैं।दिसंबर और जनवरी में बर्फबारी का मजा लेने के लिए एक बार आपको धनोल्टी भी जरूर जाना चाहिए। रानीखेत- स्थानीय दर्शनीय स्थलों की यात्रा से लेकर पैराग्लाइडिंग और आसपास के अद्भुत नज़ारों का आनंद लेने के लिए रानीखेत सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है। कैंपिंग और ट्रेकिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए रानीखेत पसंदीदा जगहों में से एक है। झूला देवी मंदिर, भालू बांध और सेब का बगीचा यहां के सबसे प्रसिद्ध स्थान हैं। नैनीताल- नैनीताल झील शहर के रूप में जाना जाता है और प्रकृति से भरपूर हैसूर्य की किरणों के नीचे आराम से नैनी झील में नाव की सवारी का आनंद लेने के लिए इको केव गार्डन और नैनीताल चिड़ियाघर में जाने के लिए, पूरे परिवार के लिए घूमने के लिए बहुत सारे स्थान हैं। साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए चीना पीक पसंदीदा जगहों में से एक है। बिनसर- अगर शहर के कोलाहल से ऊब गए हैं और सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं तो उत्तराखंड के बिनसर घूम आइए. बिनसर अनछुए प्राकृतिक वैभव और शांत परिवेश के लिए मशहूर है।यहां घने देवदार के जंगलों के बीच से हिमालय पर्वत श्रृंखला का मनोरम दृश्य दिखता हैयहां की घाटियां आपकी आंखों को सुकून देंगीपदल रास्ते, बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों और सुरम्य घाटियों के साथ, बिनसर एकांत और शांति चाहने वालों के लिए सबसे अच्छी जगह हैउत्तराखंड पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि उत्तराखण्ड में वर्ष भर पर्यटन आधारित गतिविधियों के आयोजन के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे हैंजैसजैसे सर्दी नजदीक आ रही है उत्तराखंड में स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग, कैंपिंग, हाइकिंग जैसी गतिविधियों के लिए अनुकूल वातावरण हैहम अपने शीतकालीन कार्यक्रमों का आयोजन करके पर्यटकों को सर्वाेत्तम अनुभव प्रदान करने के लिए आगे काम कर रहे हैंउन्होंने कहा कि कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड पर्यटकों और हितधारकों की अधिकतम स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समर्पित हैहम पिछले वर्षों की तरह सभी तैयार शीतकालीन कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए समीक्षा बैठकें आयोजित कर रहे हैं।

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त्रियुगीनारायण’ मंदिर में बीते एक साल में सैकड़ों देशी-विदेशी जोड़े बंधे विवाह बंधन में

आजकल देश-विदेश में शादियों का डेस्टिनेशन वेडिंग का नया ट्रेंड चल चुका है। समय और लाइफस्टाइल बदलने के साथ अधिकांश कपल डेस्टिनेशन वेडिंग की ओर रुख कर रहे हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग में कपल अपनी मर्जी से किसी खास जगह की चुनाव करके अपने वहां अपने अनुसार शादी के बंधन में बंधते हैंवैडिंग डेस्टिनेशन के लिए देश के साथ विदेशी जोड़ों की ‘शिव व पार्वती’ त्रियुगीनारायण मंदिर पहली पसंद बन रहा हैत्रियुगीनारायण मंदिर में ही हुआ था शिव पार्वती का शुभविवाहक्या आप जानते हैं कि इसी पृथ्वी पर विद्यमान है वह जगह जहां साक्षात भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर ही वह पवित्र और विशेष पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर के अंदर सदियों से अग्नि जल रही है। शिव पार्वती जी ने इसी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया थायह स्थान रुद्रप्रयाग जिले का एक भाग हैत्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में ही कहा जाता है कि यह भगवान शिवजी और माता पार्वती का शुभ विवाह स्थल हैमंदिर के अंदर प्रज्वलित अग्नि कई युगों से जल रही है इसलिए इस स्थल का नाम त्रियुगी हो गया यानी अग्नि जो तीन युर्गों से जल रही है। त्रियुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी। यहां शिवपार्वती के विवाह में विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था। जब कि ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे। उस समय सभी संत-मुनियों ने इस समारोह में भाग लिया था। विवाह स्थल के नियत स्थान को ब्रहमशिला कहा जाता है जोकि मंदिर के ठीक सामने स्थित है। इस मंदिर के महात्म्य का वर्णन स्थल पुराण में भी मिलता है। विवाह से पहले सभी देवताओं ने यहां स्नान भी किया और इसलिए यहां तीन कुंड बने हैं जिन्हें रुद्रकुंड, विष्णुकुंड और ब्रह्माकुंड कहते हैं। इन तीनों कुंड में जल सरस्वती कुंड से आता है। सरस्वती कुंड का निर्माण विष्णु की नासिका से हुआ था और विवाह से पहले सभी देवताओं ने यहां स्नान भी किया और इसलिए यहां तीन कुंड बने हैं जिन्हें रुद्रकुंड, विष्णुकुंड और ब्रह्माकुंड कहते हैं औरऐसी मान्यता है कि इन कुंड में स्नान से संतान हीनता से मुक्ति मिल जाती है। तीन युगों से जल रही है ज्वाला तीन युगों से जल रही है ज्वाला कहा जाता है कि भारत में मौजूद इस मंदिर में यह ज्वाला तीन युगों से जल रही है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में जल रही अग्नि को साक्षी मानकर भगवान शिव और पार्वती ने विवाह किया था और तब से यह अग्नि इस मंदिर में प्रज्जवलित हो रही है। त्रियुगी नारायण मंदिर में मौजूद अखंड धुनी के चारों ओर भगवान शवि ने पार्वती के संग फेरे लिए थे। आज भी इस कुंड में अग्नि को जीवित है। जो भी श्रद्धालु इस पवित्र स्थान की यात्रा करते हैं वे यहां प्रज्वलित अखंड ज्योति की भभूत अपने साथ ले जाते हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन शिव और पार्वती के आशीष से हमेशा मंगलमय बना रहे। वेदों में उल्लेख है कि यह त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेतायुग से स्थापित है। जबकि केदारनाथ व बदरीनाथ द्वापर युग में स्थापित हुए। यह भी मान्यता है कि इस स्थान पर विष्णु भगवान ने वामन देवता का अवतार लिया था। पौराणिक कथा के अनुसार इंद्रासन पाने के लिए राजा बलि को सौ यज्ञ करने थे, इनमें से बलि 99 यज्ञ पूरे कर चुके थे तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर रोक दिया जिससे कि बलिका यज्ञ भंग हो गया। यहां विष्णु भगवान वामन देवता के रूप में पूजे जाते हैं। रुद्रप्रयाग जिले में स्थित शिव और पार्वती का विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में काफी लोकप्रिय हो रहा है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग यहां आकर शादियां कर रहे हैं। बीते एक साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो करीब सैकड़ों देशी-विदेशी जोड़े मंदिर में विवाह के बंधन में बंधे। हिमालयी प्रदेश उत्तराखंड आदिकाल से पवित्र रहा है। देश व दुनिया के विभिन्न भागों से तीर्थयात्री, पर्यटक और मुसाफिर शांति और अध्यात्म के लिए इस सुरम्य प्रदेश के मंदिरों व तीर्थस्थानों पर आते रहे हैं। इन पवित्र स्थानों के प्रति लोगों की भक्ति और विश्वास इतने प्रगाढ़ हैं कि जन्म से लेकर मृत्यु तक तमाम धार्मिक संस्कारों/क्रियाओं के लिए वे उत्तराखंड की धरती पर आते रहते हैं। इन अनुष्ठानों में एक और चीज जुड़ गई है और वह है बर्फ से ढके हिमालय के पर्वतों की पृष्ठभूमि में मंदिर के प्रांगण में विवाह की रस्में। पर्यटन सचिव, दिलीप जावलकर का कहना है कि त्रियुगीनारायण मंदिर प्रदेश के अहम धार्मिक स्थलों में से एक है। यह दर्शाता है कि उत्तराखंड पर भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों का ही आशीर्वाद है। यहां आकर विवाह करने की युवा दंपतियों में बढ़ती दिलचस्पी से साबित होता है कि हमारी नई पीढ़ी पुरातन परम्पराओं में विश्वास रखती है। त्रियुगीनारायण मंदिर जिसे त्रिजुगी नारायण भी कहते हैं। मंदिर तक रुद्रप्रयाग जिले के सोनप्रयाग से सड़क मार्ग से 12 किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचा जा सकता है। 1980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह प्रकृति मनोहर मंदिर गढ़वाल मंडल के बर्फ से ढके पर्वतों का भव्य मंजर पेश करता है। यहां पहुंचने के लिए एक ट्रैक भी है। सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर लंबे गुट्टूर-केदारनाथ पथ पर घने जंगलों के बीच से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है। केदारनाथ मंदिर से त्रियुगीनारायण तक की ट्रैकिंग दूरी 25 किलोमीटर है। देखने में त्रियुगी नारायण की बनावट केदारनाथ मंदिर की संरचना जैसे लगती है। मंदिर के भीतर भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ-साथ माता लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा भी सुशोभित हैं। मंदिर के समक्ष मौजूद ब्रह्मशिला विवाह के सटीक स्थल की पहचान है। इस मंदिर के भीतर भगवान विष्णु की चांदी की बनी मूर्ति है। उनके साथ में भगवान बद्रीनारायण, माता सीता-भगवान रामचंद्र और कुबेर की भी मूर्तियां स्थित हैं। इस मंदिर परिसर में चार पवित्र कुंड भी हैं- रुद्र कुंड स्नान के लिए, विष्णु कुंड प्रक्षालन हेतु, ब्रह्म कुंड आचमन के लिए और सरस्वती कुंड तर्पण के लिए। मान्यता है कि जो दंपति यहां विवाह संपन्न करते हैं उनका बंधन सात जन्मों के लिए जुड़ जाता है। देहरादून निवासी सौरभ गुसाईं भी यहां विवाह करने की ख्वाहिश रखते हैं। उनका कहना है कि प्राकृतिक सुदंरता से हमेशा मंत्रमुग्ध हुए हैं। हमने त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में बहुत सुना है और हमारा विश्वास है कि इस दिव्य स्थल पर नए जीवन की शुरुआत करना हमारे लिए बहुत ही कल्याणकारी सिद्ध होगा।’’

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भारतीय ब्लॉगर और इनफ्लूएंसर रोमीर सेन पहुंचे नैनीताल

नैनीताल 12 अक्टूबर 2021लोकप्रिय भारतीय यात्रा ब्लॉगर और इनफ्लूएंसर रोमीर सेन, जिन्होंने 33 देशों और 60 से अधिक शहरों की यात्रा की है, वे कोविड प्रतिबंध हटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, ताकि वह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी यात्रा फिर से शुरू कर सके। जैसा कि भारत में कोविड महामारी की दूसरी लहर कम हो गई है, रोमीर ने देवभूमि, उत्तराखंड की अपनी पहली यात्रा की है रोमीर ने उत्तराखंड को अपने गंतव्य के रूप में चुना ताकि वह पहाड़ों में रहकर ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग आदि गतिविधियों को कर सके। वह रानीखेत में नीब करौरी बाबा आश्रम और महा अवतार बाबाजी गुफा का भी दौरा करेंगे।उत्तराखंड पहुंचने के बाद, रोमीर इन सभी गंतव्यों के पास गैर-व्यावसायिक शहर में ठहरना चाहते थे। इसी दरम्यान उन्होंने वर्ल्ड पीस गागर रिजॉर्ट के बारे में सुना, जो नैनीताल, रामगढ़ और मुक्तेश्वर के पास गागर में 7500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।वर्ल्ड पीस गागर रिज़ॉर्ट में हिमालय के पहाड़ों के सबसे आश्चर्यजनक दृश्यों के साथ शीर्ष पर स्थित 6 कॉटेज हैं। यह पैसों की अहमियत से गागर में सबसे किफायती लक्जरी रिसॉर्ट है रिसॉर्ट द्वारा दिया गया आतिथ्य त्रुटिहीन है, और सारा श्रेय मालिक विवेक मार्ताेलिया को जाता है, जो हमेशा रिसॉर्ट में मौजूद रहते हैं और मेहमानों की जरूरतों का ख्याल रखते हैं।रोमीर पहले ही लगभग 8200 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवी मां मंदिर तक पैदल जा चुके हैं। यह उत्तराखंड में 18 दिनों की यात्रा है, जहां वह इन सभी स्थानों का दौरा करेंगे।रोमीर ने कहा, “यह यात्रा यादगार होने वाली है क्योंकि यह कोविड महामारी प्रतिबंध हटने के बाद मेरी पहली यात्रा है इसके अलावा, इस महीने मेरा जन्मदिन है और मैंने इंस्टाग्राम पर 10,000 पोस्ट भी पूरे किए हैं जो एक दुर्लभ उपलब्धि है।