देहरादून। छात्रों को शास्त्रीय संगीत के प्रति रूझान उजागर करने को लेकर नेहरू कालोनी स्थित मानव भारती इंडिया इंटरनेशनल स्कूल में स्पिक मैके द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अनेक सम्मानों तथा पुरस्कारों से सम्मानित पद्मश्री माधवी मुद्गल ने अपनी विविध-प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य डॉ.गीता शुक्ला, निदेशक डॉ.हिमांशु शेखर एवं मुख्य अतिथि पद्मश्री माधवी मुद्गल के द्वारा दीप प्रज्जवलित से हुआ, जिसमें दीप संस्कृत श्लोक स्कूल की छात्रा अवन्तिका भंडारी नवीं कक्षा की छात्रा ने प्रस्तुत किया। पद्मश्री माधवी मुद्गल ने मंगलाचरण से प्रारंभ किए गए इस कार्यक्रम में ओडिसी नत्य शैली के विषय में अनेक जानकारी श्रोताओं तथा दर्शकों के साथ विद्यार्थियों को दीं। अपनी गुरु शिष्य परंपरा के विषय में जानकारी देते हुए आपने अपनी शिष्या दीपिका बिष्ट की भावविभोर प्रस्तुति भी दर्शकों को दिखाई जो सभी प्रकार से अनुकरणीय तथा प्रशंसनीय थी।
इनके साथ सितार पर यार मोहम्मद, पखावज पर जितेन्द्र कुमार स्वाइंग, हारमोनियम पर प्रशांत कुमार बेहरा ने अपनी संगति दी जो काबिले तारीफ थी। समारोह का सुमधुर संचालन जसलीन कौर ने किया तथा आगंतुकों का वाचिक स्वागत डॉ.अनन्तमणि त्रिवेदी ने किया।
इस अवसर पर उपप्रधानाचार्य अजय गुप्ता, सीनियर कार्डिनेटर जनैफर पैफट, जूनियर कार्डिनेटर आरती रतूड़ी सहित सभी शिक्षक, कर्मचारीगण छात्र-छात्राएं तथ् मानव भारती देहरादून की पूर्व आदर्श छात्रा एवम् स्कूल कैप्टन तनीषा पंवार भी उपस्थित थी। प्रधानाचार्य डॉ. गीता शुक्ला ने सभी के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। मानव भारती के निदेशक डॉ. हिमांशु शेखर ने अतिथियों का स्वागत एवम् सम्मान पुष्पगुच्छ भेंट कर किया। पद्मश्री माधवी मुद्गल गन्धर्व महाविद्यालय नई दिल्ली के संस्थापक पद्मश्री पं.विनयचंद्र मुद्गल की सुपुत्री हैं।
आप एक सफल ओडिसी, भरतनाट्यम, कथक तथा बेहतरीन भारतीय संस्कृति-नत्यों की नत्यांगना हैं।
अब तक आपने लगभग 300 से अधिक कार्यक्रमों के माध्यम से दर्शकों को प्रेरित किया है। आपके द्वारा अनेक स्कूलों, संस्थाओं, में समय- समय पर भारतीय संस्कृति, ओडिसी नत्य इत्यादि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनसे बहुत अधिक संख्या में विद्यार्थी तथा जिज्ञासु साधक लाभान्वित होते हैं। पद्मश्री माधवी मुद्गल एक ऐसी भारतीय शास्त्रीय नत्यांगना हैं जो अपनी ओडिसी नत्य शैली के लिए विश्वभर में जानी जाती हैं। इस क्षेत्र के अनेक पुरस्कारों से आप पुरस्कृत और सम्मानित हैं। 1984 में संस्कृति पुरस्कार, 1990 में भारत का सम्मानित पद्मश्री पुरस्कार, 1996 में उड़ीसा राज्य संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1997 में फ्रांस में सम्मान, 2000 में केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2002 में दिल्ली राज्य परिषद् सम्मान, 2004 में आप नत्य चूड़ामणि की उपाधि से विभूषित की गई हैं।साथ ही अन्य अनेक सम्मानों तथा पुरस्कारों से भी आप सम्मानित हैं।आज देश आप पर गर्व करता है और कला जगत को निरन्तर आपका मार्गदर्शन मिल रहा है। मानव भारती देहरादून में आपका आना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है।