शिक्षा प्रेरकों ने राज्य कर्मचारी दर्जे की मांग को लेकर जताया विरोध

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देहरादून। साक्षर भारत कार्यक्रम के अन्तर्गत 2009-2010 से कार्यरत शिक्षा प्रेरकों के समायोजन की मांग को लेकर सोमवार को समस्त शिक्षा प्रेरक संगठन उत्तराखंड के सदस्यों ने अपनी सचिवालय कूंव कर अपना विरोध प्रकट किया । इस विरोध का नेतृत्व करते हुए संगठन की प्रदेश अध्यक्षा सुनीता पंवार ने बताया कि शिक्षा प्रेरक साक्षर भारत कार्यक्रम के अन्र्तगत ग्राम पंचायत स्तर पर 2009-10 से साक्षरता का कार्य कर रहे हैं और भारत सरकार की ओर से 200 और राज्य सरकार से 1000 प्रतिमाह बढ़ोतरी की गई थी शिक्षा प्रेरकों ने पंचायतों में निरक्षरों को साक्षर बनाने के साथ साथ बीएलओ व प्रधानमंत्री जनधन खाता खुलवाने व प्राथमिक विद्यालयों में जरूरत पड़ने पर आवश्यक सेवाए भी प्रदान की है लेकिन फिर भी 2017 में सरकार ने उन्हें बेरोजगार कर दिया जिसके कारण वर्तमान समस्त शिक्षा प्रेरकों का भविष्य खतरे में पड़ गया है उन्होंने इस विरोध के माध्यम से सरकार निवेदन किया कि पुन समस्त शिक्षा प्रेरकों की मांगों का निराकरण किया जाए।

विरोध के दौरान शिक्षा प्रेरक संगठन के सदस्यों द्वारा उठाई गई मांगों में राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में प्री प्राईमरी की कक्षा आरम्भ करके प्रेरकों को नियुक्त किया जाए,सभी शिक्षा प्रेरकों को उपनल व आउट सोर्सिंग के माध्यम से अन्य विभागों में समायोजित किया जाए और सभी शिक्षा प्रेरकों को राज्य कर्मचारी में समायोजिक किया जाए। इस विरोध के दौरान अरविंद जोशी, सकल चंद आर्य, संजय चैड़ाकोटी, महेश चंद मिश्रा,धर्मेंद कुमार,बलवंत रावत, भगवान दास, सुशीला बिष्ट, सुनीता नेगी, पुनम रावत,सुनील त्रिपाठी अरविंद ममगांई राजेश छावड़ा और बीमा देवी आदि मौजूद थे।