देहरादून: मातृभाषा को नई पीढ़ी तक पहुंचाए और प्रदेश के सभी स्कूलों में यहां की भाषाओं को पढ़ाएं की थीम के साथ प्रारम्भ हुआ मातृभाषा सप्ताहधाद और रूम टू रीड के आयोजन के पहले दिन देहरादून में साहित्यकार शांति प्रकाश जिज्ञासु और उधमसिंह नगर में सामाजिक कार्यकर्ता हेम पंत ने स्कूलों में पढ़ाई उत्त्तराखण्ड की भाषाओं में कहानी
धाद और रूम टू रीड के मातृभाषा सप्ताह का शुभराम्भ देहरादून के प्राइमरी स्कूल डांडा खुदानेवाला में हुआ। जहां गढ़वाली साहित्यकार शांति प्रकाश ‘जिज्ञासु’ ने बच्चो को गढ़वाली भाषा में जानकारी के साथ “सूरज की सूझबूझ” कहानी सुनाई।
अपना अनुभव बताते हुए उन्होने कहा कि हालांकि छात्रों में गढ़वाल क्षेत्र के बच्चे कम थे लेकिन वह गढ़वाली भाषा से परिचित थे। जिन बच्चों से गढ़वाली में पूछा गया उन्होंने बहुत अच्छा उत्तर दिया जैसे मक्की के लिए उन्होंने मुंगरी कहा बंदर के लिए बांदर कहा, यह बहुत अच्छा अनुभव रहा। उन्होंने स्कूल को मातृभाषा साहित्य भी भेंट किया। वहीं आयोजन का दूसरा अध्याय उधमसिंह नगर में सामाजिक कार्यकर्त्ता हेम पंत द्वारा राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय रुद्रपुर ने कुमांऊनी भाषा के बारे में बताते हुए कहानी सुनाई। उन्होंने छात्राओं को मातृभाषा का महत्व बताया और भारत की भाषा विविधता और विलुप्त होती बोली भाषाओं के बारे में भी बात की।
इस अवसर पर कहानी वाचन भी हुआ।बच्चों ने कहानी के बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। बंगाली, पंजाबी, पूर्वांचली और कुमाउनी पृष्टभूमि से आने वाले बच्चों ने कहा कि वो अपने दादा-दादी और माता-पिता से मातृभाषा सीखने की कोशिश करेंगे.मातृभाषा सप्ताह की जानकारी देते हुए संस्था के सचिव तन्मय ने बताया कि आयोजन की थीम नई पीढ़ी को उनकी मातृभाषा से जोड़ना है। इसलिए आयोजन का सूत्रवाक्य दिया गया है अपनी भाषा को नई पीढ़ी तक पहुंचाए और प्रदेश के सभी स्कूलों में यहां की भाषाओं को पढ़ाएं। उन्होंने बताया कि इस बार का आयोजन नई पीढ़ी को उनकी दूधबोली से जोड़ने के निमित्त है। थीम के अंतर्गत धाद और रूम टू रीड द्वारा प्रदेश के सभी जिलों के प्रतिनिधि स्कूल में मातृभाषा कहानी वाचन का आयोजन किया जा रहा है।जिसमे विभिन्न साहित्यकार सामाजिक कार्यकर्ता अपने जिले के प्राथमिक स्कूल में उत्तराखण्ड की भाषाओं में कहानी सुनाने के साथ भाषायी संवाद करेंगे।