देहरादून। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप व पूर्व राज्यमंत्री व चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय संयोजक मनीष कुमार ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के साथ धोखा किया है और उनकी उपेक्षा करी हैं। पौने 5 साल बीतने के बाद भी राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों के लिए कुछ नहीं किया। आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण को लेकर समाचार पत्रों की कतरनों को शामिल ना करना दुर्भाग्यपूर्ण है व जो शासनादेश इस सरकार ने निकाला है वह राज्य आंदोलनकारियों को गुमराह करने वाला है। पूर्व में जो चिह्नीकरण हुए हैं, उनमें समाचार पत्रों की कतरनों को भी मान्य किया गया था, पर आज कुछ ही लोग चिह्नीकरण से वंचित हैं। ऐसे में एक राज्य में दो-दो मानक बनाए जा रहे हैं। आज जो लोग चिह्नीकरण से वंचित थे, वह अपने समाचार पत्रों की कतरन को लेकर धक्के खा रहे हैं। समाचार पत्रों की कतरन इतिहास का प्रमाण होती हैं और उन्हीं पर कई बार भविष्य की नींव रखी जाती हैं अगर समाचार पत्रों की कतरनों को मान्य नहीं किया जाता तो देशभर में जो पुस्तकालय हैं वह भी एक प्रकार से समाचार पत्रों की कतरनओ व अन्य माध्यमों से एकत्र किया गया इतिहास है तो ऐसे में इन पुस्तकालय को भी बंद कर दिया जाए। जब राज्य आंदोलन चल रहा था तो समाचार पत्र ही संचार व प्रचार प्रसार का एकमात्र साधन थे, ऐसे में सरकार द्वारा समाचार पत्रों की कतरनओं को चिह्नीकरण लिए नकारना आंदोलनकारियों के संग धोखा देने जैसा है यह सरकार शुरू से ही राज्य आंदोलनकारी विरोधी रही है, कई लोग चिह्नीकरण की मांग करते-करते कोरोना काल में स्वर्ग सिधार गए और अब कुछ ही लोग बचे हैं। उनको भी यह सरकार चिन्हित नहीं कर रही है। जब एलआईयू के पास पुराने रिकॉर्ड नहीं है तो कैसे उन लोगों का चिह्नीकरण होगा। केवल एक मात्र समाचार पत्र ही बचते हैं और वह भी हर किसी के पास नहीं है कुछ ही लोग हैं जिन्होंने समाचार पत्र संभाल कर रखें है। कांग्रेस पार्टी भाजपा राज्य सरकार की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं कि उसने एक ही राज्य में एक ही चिह्नीकरण के लिए दो अलग-अलग मानक बना दिए हैं। यह राज्य आंदोलनकारियों के साथ विश्वासघात है और आने वाले समय में राज्य आंदोलनकारी व राज्य की जनता इनको सत्ता विहीन करके उचित सबक सिखाएगी l