देहरादून। आज भारत के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव 2022 परिणामों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू अभी भी बरकरार है। आज के चुनावी नतीजों में जहां भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की है वही मणिपुर और गोवा में भी भाजपा अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही है। वही आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में चमत्कारिक प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड बहुमत के साथ जीत दर्ज करने में सफलता हासिल की है।उत्तराखंड में 2022 के चुनाव को खत्म हुए आज पांच दिन का समय गुजर चुका है 14 फरवरी को वोट डालने के बाद चुनाव में भाग लिए कई प्रत्याशियों के बीच अभी भी मतदान हो जाने के बाद भी विवाद थमने का नाम नही ले रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी समस्त पार्टी के पदाधिकारियों से गुजारिश की आपसी विवादों को पार्टी से बाहर जाहिर होने से बचें और सिर्फ विवादों को सुलझाने के पार्टी के दिग्गज सदस्यों से मिल कर सुलझाने का प्रयास करें।
हाल में भाजपा के देहरादून पार्टी के आपसी विवादों को शीघ्र सुलझाने के लिए पार्टी हाईकमान ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को भी दिल्ली तलब किया व इस मामले को सुलझाने का पूरा प्रयास किया। इस मामले को निपटाने के लिए भाजपा के केन्द में भेठे पार्टी पदाधिकारियों ने भाजपा के महासचिव अजय कुमार को आंतरिक जांच के भी आदेश दिये। इस विवाद की जांच केन्द्रीय स्थित भाजपा सरकार द्वारा 14 फरवरी को हुए अगले दिन ही केन्द्रीय स्थित भाजपा पदाधिकारियों द्वारा जांच के आदेश दिये गये थे। विवाद को गरम होनें के पीछे लक्सर से भाजपा के प्रत्याशी विधायक संजय गुप्ता को बताया जा रहा है जिसके तहत उक्त विधायक ने मदन कौशिक को घेरा था और इस मामले का सोशल मीडिया पर शीघ्र छा जाने के कारण यह मामला एक बड़ा बवाल बन गया। चंपावत के विधायक व भाजपा के प्रत्याशी कैलाश चंद गहतोड़ी ने भी अरोप लगाने में कोई कसर नही छोड़ी थी, उन्होंने ने भी पार्टी के कई उच्च पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा थी उनके 2022 विधानसभा चुनाव मे प्रदेश के कई पदाधिकारियों ने उनका साथ देने के बजाय टांग अड़ाने का कार्य किया और उनके पक्ष में उचित प्रचार प्रसार करने के बजाय उनका साथ नही दिया जिसका किसी न किसी रूप में प्रभाव पड़ने 14 फरवरी को हुए मतदान पर पड़ा है , यह बात भी सोशल मीडिया पर आग की भांति फैली जिसके कारण हाई कमान को उच्च जांच की जरूरत पड़ी।
काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा ने भी यह बात कहते हुए आरोप लगाया कि कुछ पार्टी के सदस्यों भाजपा से हाथ सिर्फ पार्टी के पक्ष में पड़ने वाले वोटों को प्रभावित करने के लिए मिलाया जिसके कारण किसी न किसी रूप में इस बार उनके पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा को चुनाव में खदेड़ने का प्रयास किया गया। इसी प्रकार के आरोप यमुनोतरी के विधायक केदार सिंह रावत द्वारा भी कई पार्टी के पदाधिकारियों पर लगाए गये, उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि 2022 के चुनाव में पार्टी को सफल बनाने के बजाए कई भाजपा के छोटे बड़े पदाधिकारी गद्दारी कर पार्टी की छवि को बर्बाद करने का प्रयास कर रहे हैं और इस बात का किसी न किसी रूप से हाथ विपक्ष का भी है जो भाजपा की सोने की भांति चमक रही छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रही है। केदार सिंह रावत ने भी भाजपा को विगत वर्ष 2017 के चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी छोड़कर ज्वाईन किया था और तबसे लेकर अबतक वह भाजपा के ही साथ हैं और किई मायनों में उन्होंने पार्टी को आगे बढ़ाने के कार्य कर रहे है। भाजपा के पार्टी पदाधिकारियों के भीतर बड़ रहे आपसी मतभेदों का मुख्य कारण यह भी है कि कई नेताओं व पदाधिकारियों उनकी मनपंसद टिकत न मिलने से वह खुद को इस चुनाव से कटा कटा हुआ महसूस कर रहे थे जिसकी भड़ास को निकालने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लेकर पार्टी की सुनेहरी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया।
जिन पांच राज्यों में चुनाव हुए थे उनमें उत्तर प्रदेश का चुनाव सबसे अहम माना जा रहा था। यूपी की 403 सीटों वाली विधानसभा में भले ही भाजपा 2017 के मुकाबले कम सीटें जीत सकी हो लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 202 से 50 से भी अधिक सीटें जीत कर सत्ता पर बरकरार रही है। समाजवादी पार्टी जिसने इस चुनाव में छोटे और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर सत्ता में आने का तानाकृबाना बुना था वह 150 का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। यही नहीं बसपा और कांग्रेस सहित अन्य तमाम दलों का तो इस बार सूपड़ा ही साफ हो गया है। जिसकी उन्हें सपने में भी उम्मीद नहीं रही होगी।