देहरादून: मानसिक स्वास्थ्य के लिए कार्यरत संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसायटी ने युवाओं के लिए ब्रेकअप के मानसिक तनाव और अवसाद से मुक्ति के विषय पर एक कार्यशाला का ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यम से आयोजन किया। इस कार्यक्रम में संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. पवन शर्मा (द साइकेडेलिक) ने युवाओं के बीच बढ़ते ब्रेकअप के कारणों और इसके कारण मानसिक तनाव और अवसाद के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बढ़ते ब्रेकअप आजकल के युवाओं की कम होती सहनशीलता और अधिक आकांक्षाओं का नतीज़ा है, क्योंकि कोरोनकाल के बाद मानसिक समस्याएं बहुत बढ़ गई हैं। ब्रेकअप असल में दोनों साथियों के व्यक्तिगत मूल्यों और विश्वासों के टकराव के कारण होता है और इस वज़ह से दोनों साथियों के बीच एक दूसरे की कम समझ व तालमेल होती है और अपनी प्राथमिकता को अधिक महत्व दिया जाता है।
यदि दोनों साथी अपने मूल्यों को स्पष्ट कर सकें तो यह समझ दोनों के रिश्ते को अधिक मजबूत बनाएगी। इसके लिए डॉ. पवन शर्मा ने मनोवैज्ञानिक अभ्यास भी करवाया। ब्रेकअप के बाद के मानसिक दुष्परिणामों को लेकर उन्होंने कहा कि ये हालात सिर्फ रिश्ते में जुड़े व्यक्तियों को ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को भी बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। यदि समय रहते इस परेशानी से बाहर नहीं निकले तो परिणाम नशे की लत और आत्महत्या जैसे भयावह हो सकते हैं। इस परिस्थिति में से जितना जल्दी हो, उबर कर खुद के जीवन को सामान्य करने की कोशिश करनी चाहिए। ब्रेकअप के मानसिक तनाव को कम करने के लिए भी डॉ. पवन शर्मा ने प्रतिभागियों को असरकारक तरीके बताये और उनसे अभ्यास भी करवाया। फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसायटी की टीम ने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए और काउंसिलिंग भी की।
डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि आज के युवा अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए जागरूक हो रहे हैं वे पहल करके पेशेवरों से अपनी बात कह कर सहायता लेते हैं और जिनमें से महिलाएं अधिक है, जो कि एक बहुत अच्छा संकेत है कि महिलाएं अपने मानसिक स्वास्थ्य जुड़े कलंक और शर्मिंदगी की बंदिशों को तोड़ कर समाधान के लिए आगे बढ़ रही हैं। इस कार्यशाला में व्यक्तिगत रूप से और ऑनलाइन माध्यम से कुल 65 युवक-युवतियों ने भाग लिया।चौदह वर्ष से अधिक का कोई भी व्यक्ति संस्था के हेल्पलाइन नंबर 8755514349 पर फोन करके निःशुल्क काउंसलिंग की मदद ले सकता है।इस मौके पर भूमिका भट्ट शर्मा, एडवोकेट कुलदीप भारद्वाज, पूनम नोडियाल, एडवोकेट दिव्या चंदेल अपना सहयोग दिया।