देहरादून:फॉर्टिस अस्पताल के टेन्डर मे दुविधा होने के कारण बढ़ती जनसमस्याओं के निदान के लिए पूर्व विधायक राजकुमार ने महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य को ज्ञापन सौंपा और शीघ्र समस्याओं के निदान की करी मांग l इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि फॉर्टिस अस्पताल देहरादून के उच्चस्तरीय अस्पतालों में से एक है ,जहां पर उत्तराखण्ड निवासियों के सभी रोगों का सम्पूर्ण रूप से इलाज किया जाता है। ज्ञात हो कि फॉर्टिस अस्पताल उत्तर भारत के सर्वोत्तम अस्पतालों की श्रेणी में आता है जो की 1990 से उत्तर भारत में कार्यरत है और इसके 30 अस्पताल भारत में सेवा प्रदान कर रहे हैं । जिसने देहरादून में भी 2010 से वर्तमान तक न्यूनतम दरों में अपनी सेवा प्रदान की है । यहां पर नवजात शिशुओं से लेकर वृध्दजनों के हृदय रोगों का सम्पूर्ण इलाज किया जाता है जो की गरीबी रेखा से नीचे आते हैं जिसके अंतर्गत एन.आर.एच.एम, आयुष्मान भारत योजना, बी.पी.एल, ई.एस.आई, सी.जी.एच.एस, आर.बी.एस.के व अन्य योजनाएं आती हैं । कई जटिल ऑपरेशन जो मैक्स, ऐम्स व अन्य अस्पतालों में नहीं हो पाते है वो भी फॉर्टिस अस्पताल में किए जाते हैं, यहां 24×7 आपातकालीन सेवाएं प्रदान की जाती हैं । ज्ञात हो कि इस अस्पताल में उत्तराखण्ड राज्य के 130 कर्मचारी कार्यरत है और उन्होंने कहा कि कोरोनेशन अस्पताल के द्वितीय तल पर जहां फॉर्टिस अस्पताल कार्यरत है के लिए टेंडर निकाला गया है जिसमें सिर्फ दो अस्पतालों ने भाग लिया है ।
यदि यह टेंडर किसी नई कम्पनी को दिया जाता है तो उत्तराखण्ड राज्य के 130 कर्मचारियों को राज्य से बाहर पलायन करने पर मजबूर होना पड़ेगा l भाजपा पलायन को रोकने का दावा करती है परंतु उसके विपरीत यह सब करके पलायन को बढ़ावा दे रही है और इस कारण उत्तराखण्ड निवासियों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रहना पड़ेगा । जिस नई कम्पनी को टेंडर मिलने की सम्भावना है वह केरल स्थित एक छोटी कम्पनी है जिसका फॉर्टिस अस्पताल की तुलना में बहुत कम अनुभव है और जिसका उत्तराखण्ड में लम्बे समय तक उच्च स्वास्थ्य सेवा देना सन्देहास्पद प्रतीत होता है । घाटा होने की स्थिती में उत्तराखण्ड के निवासियों के स्वास्थ्य सेवाओं से समझोता होगा और भविष्य में यह भी सम्भावना है कि वह अपनी स्वास्थ्य सेवाएं देना बन्द कर सकता है । रिपोर्ट के अनुसार कई राज्यों में इनकी सेवाओं को रद्द कर दिया गया है । इस अस्पताल के कई डाक्टरों को मेडिकल बोर्ड द्वारा सस्पेंड कर दिया गया है । एक रिपोर्ट के अनुसार इसके एक ही अस्पताल में पांच माह के अन्दर चौबीस मरीजों की मृत्यु दर्ज की गई है क्योंकि यहां मानक उपदंड से नीचे की मशीनों का प्रयोग किया जाता है तथा आयुर्वेदिक डाक्टरों से आई.सी.यू में डूयटी करवाई जाती है और इसके साथ ही इस कम्पनी पर ओवर चार्जजिंग के आरोप भी पाये गये हैं । पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि फॉर्टिस अस्पताल, जो कि 11 वर्षों से उत्तराखण्ड के निवासियों को निशुल्क उच्च स्तरिय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है , को ही भविष्य में स्वास्थ्य सेवा देने का अवसर प्रदान किया जाए अन्यथा हमे जनहित में जनता के साथ प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा l इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, नागेश रतूड़ी, कमर खान, देवेन्द्र कौर, रवि फूकेला आदि मौजूद थे l