देहरादून। GS Foundation De-addiction Center युवाओं को नशे की दलदल से निकालने का दावा करने वाले नशा मुक्ति केंद्रों में ही दारू पार्टी चलने और युवक-युवतियों को एक ही हाल में रखने का खुलासा हुआ है। यही नही युवतियों के लिये न तो लेडिज डाॅ. की व्यवस्था की गई थी और न ही बालिकाओं की देखभाल को कोई महिला कर्मचारी तैनात किये गये।
यह खुलासा तब हुआ जब जिला समाज कल्याण देहरादून व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून की टीम ने संयुक्त रूप से जीएस फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र ईसी रोड, जीवन ज्योति नशा मुक्ति केंद्र बड़ोंवाला देहरादून, जीवन दा नशा मुक्ति केंद्र, बड़ोंवाला देहरादून, लास्ट रिहैब गणेशपुर आदि में छापा मार कर औचक निरीक्षण किया।
टीम की आंखे उस वक्त खुली की खुली रह गई जब शहर के बीचो-बीच स्थित जीएस फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र ईसी रोड में युवक और युवतियों को एक ही जगह रखा गया है। लडकियों की देखरेख को ना ही कोई लेडीस डॉ. रखा गया है और ना ही कोई देखरेख करने वाली महिला मौजूद है।
इस नशा मुक्ति केंद्र में एडमिट युवतियों ने बताया कि उनको महिला डॉ. की जरूरत है, मगर नशा मुक्ति केंद्र की तरफ से ना ही कोई डॉ. आता है ओर ना ही कोई परामर्श मिल पा रहा है। युवतियों ने बताया कि भर्ती होने के बाद से आज तक कोई भी लेडी डॉ. नशा मुक्ति केंद्र में चेकअप करने नही आई।
नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती एक महिला ने यह भी बताया कि वह नशे में लिप्त नही है, वे दिमागी पेशेंट है, मगर उसको भी नशे में लिप्त महिलाओं के साथ रखा गया है।
यहा जो स्टाफ रखा गया है वह भी दक्ष नही
इस नशा मुक्ति केंद्र में कुछ महिलाओं ने बताया कि उनको जबरदस्ती उनके परिवार वाले नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करके गए हैं, जिनमें एक 82 वर्षीय महिला ने बताया कि वह कोई नशा नहीं करती थी और काफी समय से नशा मुक्ति केंद्र में जबरदस्ती भर्ती कराया गया है। यहा जो स्टाफ रखा गया है वह भी दक्ष नही है।
सहायक समाज कल्याण अधिकारी संदीप सिंह नेगी ने बताया कि जीएस फाउंउेशन नशा मुक्ति केंद्र में युवक-युवतियों का एक ही कमरा है जिसमें सारी एक्टिविटी करती हैं।
महिलाओं को अलग रखने के लिए कोई अलग से बिल्डिंग नहीं बनाई गई है। नेगी ने यह भी बताया कि जीवन ज्योति नशा मुक्ति केंद्र में जब विजिट करने गए वहां का स्टाफ शराब का सेवन करते हुए पाए गए, पूछताछ के दौरान बात करते हुए दोनों स्टाफ नशे में लिप्त थे।
उन्होने बताया कि जीवन दा नशा मुक्ति केंद्र में भी ज्यादातर खामियां ही मिली, इस नशा मुक्ति केंद्र में ना ही कैमरे ना ही स्टाफ का वेरिफिकेशन और न ही कोई मेडिकल डॉक्टर विजिट पर भी समय पर नहीं आता।
लास्ट रिहैब नशा मुक्ति केंद्र में भी 2 कमरों में 52 पेशेंट को रखा गया था, जिनकी हालत बहुत ही बुरी पाई गई, इस नशा मुक्ति केंद्र में भी ना ही कैमरे की व्यवस्था थी और ना ही प्रॉपर रजिस्टर मेंटेन किए गए थे। किसी भी नशा मुक्ति केंद्र में जो स्टाफ रखा गया है|
उनका पुलिस वेरिफिकेशन नहीं पाया गया और ना ही गार्ड की व्यवस्था की गई थी, सभी नशा मुक्ति केंद्रों को 2 दिन का समय दिया गया है जो खामियां हैं उनको सही करें अन्यथा सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। टीम में समाज कल्याण विभाग से सहायक समाज कल्याण अधिकारी संदीप सिंह नेगी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से जहांगीर आलम व मानसी मिश्रा आदि मौजूद रहे।