देहरादून 21 जुलाई । श्री प्रेम सुख धाम नेशनल रोड लक्ष्मण चौक स्थित इच्छापुरम संकटमोचक चमत्कारिक समाधि स्थल में जैन महामृत्युंजय का जाप करते हुए जैन संत गुरुदेव श्री अनुपम मुनि जी महाराज ने कहा की जैन धर्म में 9 तत्व बताए गए हैं इन तत्व से जैन धर्म की विशेष पहचान होती है इन तत्वों की जैन धर्म की चारों शाखाओं में मान्यता है जैसे जीव अजीव पुण्य पाप आश्रव बंध संवर निर्जरा और मोक्ष इन्हे नौ तत्व कहते हैं।
जीव उसे कहते हैं जो चेतना लक्षण से युक्त है सुख दुख का अहसास करता है पुण्य पाप का कर्ता है और अविनाशी लक्षण वाले को जीव कहते हैं अजीव उसे कहते हैं जो सुख-दुख भी नही भोगता, नहीं पुण्य पाप भी नही भोगता, इत्यादि लक्षणों से युक्त अजीव है। पुण्य उसे कहते हैं जो करने में कठिन भोगने में सरल होता है उसे पुण्य कहते हैं पाप करने में सरल होता है भोगने में रोना पड़ता है दुखी होना पड़ता है कठिन होता है उसे पाप कहते हैं हिंसा झूठ चोरी मैथुन परिग्रह क्रोध मान माया लोभ राग द्वेष,रति अ रती माया मौसा मिथ्या दर्शन शल्य आदि के करने से पाप प्रवृत होने से पाप के पुदगल आत्मा के प्रदेशों के साथ लिप्त होते हैं ।जम जाते हैं उसे आश्रव कहते हैं ।
पाप की निर वृत्ति को संवर कहते हैं पाप करने के बाद स्वभाविक रूप से पाप पुद्गल आत्मा में लिप्त होने को बंध कहते हैं पाप पुद्गल जो आत्मा के साथ चिपके हुए हैं लिप्त है सटे हुए हैं उनको हटाने को निर्जरा कहते हैं,आत्मा की मलीनता को हटा देना ही मोक्ष है। उसी को निर्जरा भी कहते हैं ।शास्त्रों की भाषा में इसे तप कहते हैं आत्मा से पाप के पुद्गल तब हटते हैं जब आत्मा तपस्या करती हैं अनशन,भूख से कम खाना, भिक्षा चरी विनय, वया वर्ती स्वाध्याय ध्यान और कायोत्सर्ग 12 प्रकार के तत्वों को करने से आत्मा में लगे हुए पाप के पुद्गल हट जाते हैं ऐसे हट जाते हैं जैसे साबुन से कपड़े को धोने से कपड़े का मैल हट जाता है ठीक उसी प्रकार से आत्मा में लगे हुए पुदगल आत्मप्रदेशों से हट जाते हैं।
इसे ही निर्जरा कहा जाता है मनसा वाचा कर्मणा से पाप पुद्गल पाप लिप्त आत्म प्रदेशों से हट जाना मोक्ष है इस प्रकार से जैन धर्म में 9 तत्व बताए गए हैं इन्हें जानना मानना स्वीकार करना ही धर्म है हमें नौ तत्वों में आश्रव पाप बंद का त्याग करना चाहिए पुण्य संवर और निर्जरा को ग्रहण करना चाहिए जीव और मोक्ष को जानना चाहिए। अंत में गुरुदेव श्री राजेश मुनि जी महाराज ने सभी भक्तो को मंगल पाठ सुना कर आशीर्वाद दिया।