पब्लिक सेक्टर में महिलाओं को वह सभी अधिकार प्राप्त हैं जो कि उनके पुरुष साथियों को मिलते

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देहरादून: ईवीजन इंश्योरेंस एंप्लाइज यूनियन का पांचवा महिला अधिवेशन एल आई सी के मंडल कार्यालय में संपन्न हुआ। सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिभाग करते हुए नॉर्थ सेंट्रल जोन इंश्योरेंस एंपलाइज फेडरेशन की क्षेत्रीय संयोजिका गीता शांत ने वर्तमान परिस्थितियों संगठित और असंगठित क्षेत्र में महिला कामगारों के मुद्दों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पब्लिक सेक्टर में महिलाओं को वह सभी अधिकार प्राप्त हैं जो कि उनके पुरुष साथियों को मिलते हैं। लेकिन निजी क्षेत्र में महिला कामगारों की स्थिति आज भी दोयम दर्जे की है।असंगठित क्षेत्र में तो यह मानवाधिकारों के हनन की हद तक ख़राब है।

तमाम शहरों में बेतहाशा खुल रहे भव्य मॉलों में काम करने वाली लड़कियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उन महिला कामगारों को बैठने के लिए एक स्टूल तक मुहैया नहीं करवाया जाता ताकि उनको अपनी हैसियत का निरंतर एहसास होता रहे। सरकार की निजी करण पॉलिसी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र ही अंततः इस महादेश की समस्याओं का समाधान ढूंढ सकता है।

कोरोना काल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सेवा संस्थानों,सरकारी अस्पतालों, परिवहन विभाग, एयरलाइंस, रेलवे की कार्यशैली को आधार बनाकर उन्होंने कहा कि अगर ये सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं ना होती तो गरीबों का कोई पूछने वाला नहीं होता। सार्वजनिक क्षेत्र देश के आवाम के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है जबकि निजी क्षेत्र का एकमात्र मकसद मुनाफा कमाना है।

      इस अवसर पर कर्मचारी संगठन के वरिष्ठ नेता सी पी नैथानी ने इस संक्रमण काल में भविष्य की चुनौतियों के प्रति सचेत रहने का आह्वान किया। देहरादून डिवीजन इंश्योरेंस एंपलाइज यूनियन के महासचिव नंदलाल शर्मा ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम सहित सार्वजनिक क्षेत्र के सभी प्रतिष्ठान बेहतरीन काम करने के बावजूद सरकार द्वारा निजी संस्थाओं को सौंपे जा रहे हैं।

भविष्य में गरीबों के लिए न तो सरकारी स्कूल बचेंगे न ही अस्पताल। ऐसे में इस देश के 90 फ़ीसदी लोग कहां जाएंगे, यह चिंता का विषय होना चाहिए। कार्यक्रम में गीता जोशी, मंजूषा मतिमान,बीना पांथरी, शशि, तुलसी, नीता बिष्ट, सुमन डंडरियाल, कृष्णा टिक्क, जमुना पयाल, मीनाक्षी गोयल, नीरजा वालिया, निर्मल कैंतुरा, मदन सिंह पंवार, आशीष राठौर, गिरिवर सिंह, किशन सिंह, अरुण कैंथोला, तन्मय ममगाईं और मनोहर सिंह ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन भारती सूद ने किया।