देहरादूनःनन्ही दुनिया के बच्चों एवं उनके हितेषियो के अंतरराष्ट्रीय आंदोलन ने रैनबो प्लैटिनम जुबली हर्षी उलास का साथ साथ माना रहे है। नन्हीं दुनिया पिछले 75 वर्षों से बाल युवाओं महिलाओं की सेवा में समर्पित है इसकी स्थापना आजादी से पूर्व 1946 में प्रोफेसर लेखराज उल्फत 1920- 1991 में की सौभाग्य की बात है कि 1953 में श्रीमती साधना उल्फत 1925 -2001 उनके साथ जुड़ गई वा बाल सेवा के इस आंदोलन को निरंतर निष्ठा के साथ आगे बढ़ाने में सफल होते चले गए ।आज यह आंदोलन अनेकों शाखाओं वाला घना वृक्ष बन गया है।१७ तारीख को सुबह नन्ही दुनिया समुदाय के सदस्य , बच्चो ने प्रभात फेरी निकाली। वे गीत गाते व कहानियां सांझा करते सूर्य दर्शन को निकल पढ़े।
बच्चों ने उगते हुए सूरज की लाली मां का अभिनंदन गायत्री मंत्रों के उच्चारण से किया। सात्विका एवम आलोक उल्फत ने बच्चों को पर्यावरण से संबंधित सभी सकारात्मक एवं नकारात्मक तत्वों की जानकारी दी वनों की रक्षा स्वच्छ पर्यावरण हमारा मूल उद्देश्य होना चाहिए! तत्पश्चात नन्हीं दुनिया की मुख्य प्रवर्तक श्रीमति किरन उल्फत गोयल ने सभी बच्चों और नन्हीं दुनियां में आए समस्त मित्रो एवं समाजसेवियों के साथ हवन संपन्न कराया।सात्विका,पूर्णिमा,मनीष,सानिया, कैथी,अनमोल ने प्रांगण को रंगो से बहुत खूबसूरत ढंग से सजाया।दूसरे सत्र में बच्चो ने नन्हीं दुनिया का परिचय दिया। अध्यापिकाओं ने अपने अनुभव साझा किए।लोक नृत्य,गीत वा रंगा रंग कार्यक्रमों से समा बांध दिया। कर्नल रविंद्र मेहरोत्रा ने बच्चों को शुभकामनाएं वा आशीर्वाद दियाl मुख्य प्रवर्तक श्रीमति किरन गोयल ने समस्त प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया । शाम को दीपमाला की गई। श्रीमती उर्मिला ठाकुर, दीपा मल्होत्रा, सुधीर सिधवानी, विजय गोयल, अतुल,रोहित,कविता,राधे श्याम,मीना आदि उपस्थित थे।