ऋषिकेश: कोविड प्रतिबंधों के हटते ही आर्थिक गतिविधियों में तेजी से वृद्धि हुई है जिससे राष्ट्रीय ग्रिड में विद्युत की मांग अचानक बढ़ गई है । टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के द्वारा प्रचालित किए जा रहे टिहरी एचपीपी (1000 मेगावाट) और कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट) इस मांग की पूर्ति करने में राष्ट्रीय ग्रिड को आवश्यकता से अधिक सहायता उपलब्ध करा रहे हैं । भारत सरकार एवं उत्तराखंड सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए 25 अगस्त, 2021 को टिहरी जलाशय को ईएल 830 मी. तक भरने की अनुमति समय से प्रदान कर दी है ।
उल्लेखनीय है कि टीएचडीसीआईएल ने 16 से 31 अक्टूबर 2021 तक 193 मि.यू. ऊर्जा के उत्पादन की योजना बनाई थी, लेकिन उपरोक्त अनुमति के परिणामस्वरूप टिहरी बांध जलाशय में 2 मीटर के अतिरिक्त भंडारण की अनुमति प्राप्त हुई, इसके बाद टिहरी एचपीपी और कोटेश्वर एचईपी ने 402 मि.यू. उत्पादित करने के लिए अपनी योजना पुनरीक्षित की जिसके परिणामस्वरूप 209 मि.यू. का अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन होगा।
उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री, श्री पुष्कर सिंह धामी जी की दीर्घकालिक दृष्टि और दूरदर्शिता के कारण टीएचडीसीआईएल को टिहरी जलाशय स्तर को ईएल 830 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति प्राप्त हुई जो कि वर्तमान परिदृश्य में राष्ट्रीय ग्रिड के लिए वरदान साबित हुई है । इसके कारण टीएचडीसीआईएल राष्ट्रीय ग्रिड को मजबूत करने के साथ-साथ “विद्युत उत्पादन हमारी कटिबद्धता… समाज का विकास हमारी प्रतिबद्धता…” की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाने की स्थिति में है।
टिहरी बांध परियोजना भागीरथी नदी पर एक बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना है और रॉकफिल बांधों में तीसरा सबसे ऊंचा और विश्व के सबसे ऊंचे बांधों में 10वें स्थान पर है। इस परियोजना में 260.5 मीटर ऊंचा अर्थ और रॉकफिल बांध और भूमिगत विद्युत गृह है जिसमें 250-250 मेगावाट की 4 मशीनें शामिल हैं। टिहरी बांध परियोजना में मानसून के दौरान लगभग 2615 एमसीएम अधिशेष बाढ़ के जल को संग्रहित करने की क्षमता है। मानसून के बाद संग्रहित जल उत्तर प्रदेश के गंगा के मैदानी इलाकों में 8.74 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के काम में आता है और लगभग 40 लाख आबादी के लिए नई दिल्ली को लगभग 300 क्यूसेक पेयजल और लगभग 30 लाख आबादी के लिए उत्तर प्रदेश को 200 क्यूसेक पेयजल उपलब्ध कराता है। टिहरी परियोजना ने वास्तव में दिल्ली और आगरा के लोगों की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति की है। परियोजना ने टिहरी कमांड क्षेत्र के किसानों को एक वर्ष में 3 फसलों का उत्पादन करने में भी सक्षम बनाया है।