जहरीली हवा व दूषित नदियों के जिम्मेदार हम स्वयं हैं: डॉ० अनिल प्रकाश जोशी

Spread the love

रुड़की: पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सुप्रसिद्ध #पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ० अनिल प्रकाश जोशी के नेतृत्व में साइकिल यात्रा पर निकले 14 सदस्यीय दल का आज आईआईटी रुड़की में भव्य स्वागत किया गया। उल्लेखनीय है कि आम जनमानस में प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से डॉ० जोशी 2 अक्टूबर से 9 नवम्बर तक देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई से पारिस्थितिकी राजधानी उत्तराखण्ड की लगभग 2500 किमी० साइकिल यात्रा पर हैं। डॉ० जोशी ने बताया कि आर्थिकी व पारिस्थितिकी समन्वय स्थापित करने हेतु राष्ट्रीय पहल के उद्देश्य से देश के सात राज्यों से होती हुई यह यात्रा अपने अन्तिम चरण में आज रुड़की पहुंची है। आगामी 9 नवम्बर को उत्तराखण्ड राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर इस यात्रा का राज्य की राजधानी देहरादून में समापन होगा।

69 वर्षीय डॉ० जोशी की इस साइकिल यात्रा में कुल 14 सदस्य शामिल हैं, जिसमें से अधिकतर युवा हैं। डॉ० जोशी ने बताया कि यात्रा के दौरान 50 हजार से अधिक लोगों से जनसम्पर्क किया गया तथा 30 से अधिक बड़ी व 80 से अधिक छोटी संगोष्ठियों को सम्बोधित करके लोगों को प्रकृति के साथ तालमेल बैठाते हुए स्थाई विकास के लिए प्रेरित किया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना, #आईआईटी रुड़की द्वारा क्लाइमेट इश्यूज एंड ग्रॉस एनवायरनमेंट प्रोडक्ट विषय पर एक संवाद सत्र आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों व कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद तथा आईआईटी रुड़की बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स के सम्मानीय सदस्य पद्मभूषण डॉ० जोशी ने कहा कि प्रगति के लिए जहाँ ऊँची इमारतों की जरूरत होती है वहीं हमें वृक्षों के योगदान की ऊंचाई को भी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ समन्वय व संतुलन के साथ होने वाला विकास स्थाई व टिकाऊ होता है, अन्यथा एकांगी विकास की अवधि अधिक नहीं होती है।

डॉ० जोशी ने कहा कि यात्रा के दौरान जब हम प्रकृति व पर्यावरण के अनुकूल आचरण करते हुए श्रम पूर्वक साइकिल यात्रा के माध्यम से लोगों के बीच अपनी बात रखते थे तो लोग ध्यानपूर्वक न सिर्फ हमारी बातों को सुनते थे बल्कि हमारे आग्रह अनुरूप आचरण के लिए भी प्रेरित होते दिखे। उन्होंने कहा कि जहरीली हवा व दूषित नदियों के जिम्मेदार हम स्वयं हैं। यदि हमने समय रहते प्रकृति के अंधाधुंध दोहन के अपने स्वभाव में परिवर्तन नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब हमें पानी की तरह बोतल बंद ऑक्सीजन पर निर्भर रहना पड़ेगा! उन्होंने कहा कि 9 नवम्बर को उत्तराखण्ड दिवस के अवसर पर 40 दिवसीय #साइकिल यात्रा का समापन देहरादून में होगा।