देहरादून: आम आदमी पार्टी के गढ़वाल मीडिया प्रभारी व प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र सिंह आनंद ने एक बयान जारी कर विधानसभा भर्ती घोटाले में संलिप्त सत्ताधारीओ के परिजनों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा माननीय विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती रितु खंडूरी ने बड़ी ही चालाकी के साथ सतधारियों के परिवार वालों को बचाने के लिए पूरा खेल रचते हुए केवल 2016 से 2022 तक के बीच विधानसभा में हुई नियुक्तियों पर ही कार्रवाई की परंतु 2001 से 2016 तक नियुक्त लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि इसमें अधिकांश लोग सत्ताधारी नेताओं के भाई भतीजे पत्नी इत्यादि हैं ।
उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड के लिए दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे लोग मुख्य पदों पर बन जाते हैं जो न्याय नहीं दे सकते उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि किस कारण मंत्री धन सिंह रावत के भतीजे को विधानसभा भर्ती घोटाले में नहीं निकाला गया और वह अब तक नौकरी पर बने हुए हैं उन्होंने कहा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के भाई भी विधानसभा में कार्यरत हैं ।तो क्या कारण है कि उनको भी नहीं निकाला गया उन्होंने देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा की पत्नी के विधानसभा भर्ती घोटाले में ना निकाले जाने पर भी सवाल उठाए ।
यह तो भाजपा की घर की खेती हो गई कि अपने परिवार के लोगों को ही विधानसभा में रखने पर उतारू है उन्होंने भाजपा के सांसद अजय भट्ट के साले के विधानसभा में कार्य होने पर भी सवाल उठाए साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी की बेटी भतीजे व उसकी पत्नी पर भी सवाल उठाए उन्होंने कहा वर्तमान में वन मंत्री सुबोध उनियाल के साले भी विधानसभा में कार्यरत हैं । इन लोगों को क्यों नहीं निकाला जा रहा उन्होंने इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष को कटघरे में खड़ा किया।
उन्होंने आगे कहा कि वे प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह करते हैं कि वह भाई -भतीजावाद, परिवारवाद के खिलाफ कड़ा प्रहार करते हुए एवं अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इन सभी नेताओं के परिजनों को विधानसभा भर्ती घोटाले में संलिप्त रहने के चलते विधानसभा से बाहर का रास्ता दिखाएं । उन्होंने कहा कि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष से कोई आशा नहीं है इसलिए वह मुख्यमंत्री से इस संबंध में कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं उन्होंने कहा कि यदि सच में पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार एवं परिवारवाद पर प्रहार करना चाहते हैं तो उन्हें शीघ्र ही इन सत्ताधारी लोगों के परिजनों को विधानसभा से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए जिससे प्रदेश में एक अच्छा संदेश जा सके।