देहरादून। ग्राफिक एरा की खोज को केंद्र सरकार ने पेटेंट देकर अपनी स्वीकृति दे दी है। यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पौधों से औषधीय तत्व निकालने की नई तकनीक खोजी है। दावा है कि अभी तक किसी पौधे से जितनी दवा बन पा रही थी, इस नई खोज के बाद अब उतने ही पौधे से दो से तीन गुनी अधिक दवा तैयार की जा सकेगी। ग्राफिक एरा की इस खोज को केंद्र सरकार ने पेटेंट देकर अपनी स्वीकृति दे दी है।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के बायोटेक एवं लाइफ साइंस डिपार्टमेंट के वैज्ञानिकों ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान के साथ मिलकर यह खोज की है। करीब तीन साल के तमाम अनुसंधानों के बाद यह कामयाबी मिली है। खोज करने वाले वैज्ञानिकों के दल के प्रमुख यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ नवीन कुमार बाजपेई ने बताया कि कमरे के तापमान पर एक विशिष्ट दबाव उत्पन्न करके पौधों, पत्तों आदि से विभिन्न औषधीय तत्व निकालने की इस तकनीक के चौंकाने वाले परिणाम सामने आये हैं। इसके जरिये रुद्राक्ष की पत्तियों से दो गुने से अधिक फिनोलिक तत्व निकालने में मिली सफलता इस नई खोज का आधार बनी।
इस तकनीक के जरिये बहुत कम खर्चें पर काफी कम समय में औषधियों के लिए आवश्यक तत्वों को पौधों, पत्तियों आदि से निकाला जा सकता है। डॉ. नवीन कुमार और डॉ. पंकज गौतम के साथ बायोटेक के पीएचडी के स्कॉलर्स पायल गुप्ता, स्वाति जोशी और साक्षी पैन्यूली, केंद्र सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान की डिपास लैब की डॉ. शिप्रा मिश्रा व डॉ राजकुमार तुलस्वानी शामिल थे। जांच के बाद केंद्र सरकार ने इस तकनीक का पेटेंट ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के नाम दर्ज कर लिया। 20 वर्षों के लिए यह पेटेंट किया गया है। ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने एक के बाद एक नई खोजों पर खुशी जाहिर करते हुए वैज्ञानिकों के इस दल को बधाई दी।