किसी को मिलेगी इस बार की सत्ता

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देहरादून। देवभूमि में जैसे-जैसे समय बीत रहा है, और सत्तर विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव के परिणाम की घड़ी नजदीक आ रही है वैसे-वैसे उम्मीदवारों की धड़कने भी तेज होने लगी हैं। अब सभी की निगाहें दस मार्च को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं।मतगणना के लिए चुनाव आयोग के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी है। बैठकों का दौर लगातार जारी है। मुख्य मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस हैं।आज गुरुवार को सुबह आठ बजे से नतीजों के रुझान आने शुरू हो गए। राजनीतिक रणनीतिकारों की मानें तो दोपहर तक काफी हद तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि उत्तराखंड में आने वाली सरकार किसकी होगी। वहीं अब उम्मीदवारों की धड़कनें भी तेज होने लगी हैं। हाल ही में आये एग्जिट पोल में भाजपा व कांग्रेस दोनों को ही सत्ता का दावेदार बताए जाने के बाद उम्मीदवार सतर्क हो गए हैं।
दोनों ही पार्टियां बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा तो करती दिखाई देती हैं, लेकिन भीतर खाने दोनों ही पार्टियां बहुमत को लेकर आशंकित भी हैं। ऐसे में दूसरे विकल्पों की रणनीति को भी धार देने का काम किया जा रहा है। जहाँ कांग्रेस सतर्क है और 2016 में प्रदेश की हरीश रावत सरकार में हुई बगावत के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका को कांग्रेस भूली नहीं है। कांग्रेस की नजरें विधानसभा में बहुमत के आंकड़े 36 पर टिकीं हैं। वहीं विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले बीजेपी के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी, वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक सहित तमाम दिग्गज नेताओं की बैठकों का दौर जारी है।