देहरादूनः- उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने कारगिल विजय दिवस के असवर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ चीड़बाग शहीद स्थल पहुॅचकर शहीदों को भावभीनी श्रद्वासुमन अर्पित किये। इसके उपरान्त प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में भी शहीदों को श्रद्वांजलि अर्पित की गई। इस असवर पर उन्होंने कारगिल यु़द्व में शहीद हुए देश के सैनिकों को नमन करते हुए कहा कि लगातार 60 दिनों से अधिक दिन तक चले इस युद्व में भारतीय सैनिकों ने अभूतपूर्व वीरता का परिचय देकर देश के मस्तक को ऊॅचा करने का काम किया, लेकिन सरकार की रणनीतिक विफलता व सूचना तंत्र की सूचना को गंभीरता से नही लिया गया। अगर सरकार ने सूचना तंत्र की सूचना को गंभीरता से लिया होता तो पाकिस्तानी सैनिकों का ऊॅची चोटियों पर बैठने का मौका ना मिलता। उन्होंने कहा कि सरकार की उदासीनता व रणनीतिक विफलता के कारण बडी मात्रा में हमारे जावांज सैनिकों को शहादत देनी पड़ी और सैनिकों के परिजनों व बच्चों को अपार कष्ट सहना पड़ा है। जिसके लिए तत्कालीन सरकार उत्तरदायी है।
माहरा ने कहा कि एक तरफ हमारे जावांज सैनिकांे ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर देश की रक्षा की तब सरकार ने सैनिकों को सम्मान देने के लिए कई बड़ी-बडी घोषणायें की लेकिन शहीदों के परिजनों को आज तक उनका पूरा लाभ नही मिला है। उन्होंने कहा कि जैसे रामनगर के लांस नायक शहीद राम प्रसाद ध्यानी के घर जाने वाली सड़क अभीतक क्षतिग्रस्त पडी है लेकिन सरकार का ध्यान उस ओर नही गया है जो कि चिन्ता का विषय है। उन्होेंने कहा कि ऐसा ही हाल बागेश्वर जनपद के शहीद राम सिंह बोरा के गांव में सरकार ने इण्टर कालेज, अस्पताल, और मूलभूत सुविधाये ंदेने की घोषणा की थी जो आजतक पूरी नही हो पाई हैं। ऐसा ही हाल शहीद लांस नायक चन्दन ंिसह भण्डारी के गांव का भी है और उनकी मूर्ति लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन जगह उपलब्ध करवा पाया जिस कारण उनके परिजनों को मूर्ति घर में रखनी पड़ी है जो सरकार के लिए बहुत ही शर्मनाक विषय है।
करन माहरा ने मणिपुर में हाल में हुए घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर में जो महिलाओं का वीडियों वायरल हुआ है उसमें एक महिला उस पूर्व सैनिक की पत्नी जिसने कारगिल युद्व में भाग लेकर देश का रोशन किया आज वहीं सैनिक अपनी पत्नी की इज्जत नही बचा पाया उसने स्वयं इस पर अपना दुख देश के लोगों के साथ साजा किया है जिससे हम सब शर्मशार है। लेकिन केन्द्र सरकार ने उनके द्वारा की गई सेवा का भी मान नही रखा वह अभीतक मणिपुर की घटना को गंभीरता से नही लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री लोकसभा में मणिपुर की घटना पर चर्चा करवाने वह बयान देने से भाग रहे हैं। जिसे पूरा देश देख रहा है।
करन माहरा ने कहा कि केन्द्र सरकार को याद रखना चाहिए कि जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू जी के नेतृत्व मेेें सेना के हथियारों का भण्डार बनाये गये और सैनिकों के साज-सज्जा का सामान एकत्र किया गया और सेना को हर तरह से मजबूत करने के प्रयास किये गये वही प्रयास कारगिल जैसे युद्व के काम आये। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी जी का जिक्र करते हुए कहा कि बोफोर्स तोप जिन्होंने कारगिल यु़द्व की लड़ाई में विजय का रास्ता दिखाया पर आज जो लोग सत्ता में बैठे है वहीं लोग उस समय बोफोर्स तोप पर सवाल खडे़ कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार शहिदों के लिए की गई घोषणाओं पर गंभीर नही है यदि सरकार गंभीर होती तों कारगिल युद्व के 24 वर्ष बाद भी शहिदों के परिजन मूलभूत सुविधाओं से बंचित ना होते। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पुलवामा में भी सूचना तंत्र की सूचना को नजर अंजाद किया गया जिस कारण 44 जवानोें को अपनी जान गवाई पड़ी।
इस असवर पर डॉ जसविन्दर सिंह गोगी ने कारगिल युद्व में शहीद हुए जावांजों को श्रद्वाजंलि सुमन अर्पित करते हुए उन्हंे नमन किया और कहा कि देश शहीदों का सदैव ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारे सैनिकों का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि आज भी देश की सीमाओं में रात दिन अपने कर्तब्यों को पालन करते हुए देश की रक्षा में तैनात है।
श्रद्वाजंलि देने वालों में प्रदेश महामंत्री संगठन विजय सारस्वत, नवीन जोशी, गरिमा दसौनी, अमरजीत ंिसह, महंत विनय सारस्तव, शान्ति रावत, शीशपाल सिंह बिष्ट, मोहन काला, लक्ष्मी अग्रवाल, पिया थापा, शशि सेमवाल, आशा टम्टा, पूनम कण्डारी, अनिल बस्तनेत, अभिषेक तिवाडी, मधुसूदन सुन्दिरियाल, विशाल मौर्य, गोपाल ंिसंह गडिया, सहजाद सिंह अंसारी, राम बाबू, आलोक मेहता, दिपांसु, मनोज, मदन लाल ढ़िगरा, नरेश प्रसाद मंगवाल, विक्रम सिंह, विकास ठाकुर, मुहम्मद फारूख, नवनीत सती, सुलेमान अली आदि उपस्थित थे।