देहरादून। केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 को वर्तमान शैक्षिक सत्र से ही लागू करने हेत राज्य सरकारों से अपेक्षा की गयी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन व इसमें दिये गये प्राविधानों को प्रदेश में लागू करने हेतु विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा दिनांक 01 व 02 जूलाई 2022 को इण्डियन पब्लिक स्कूल, राजावाला, सेलाकुई, देहरादून में डॉ धन सिंह रावत, मंत्री विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, पंचायती राज, स्वास्थ्य, सहकारिता एवं संस्कृत शिक्षा, उत्तराखण्ड सरकार की अध्यक्षता में 02 दिवसीय शैक्षिक चिन्तन शिविर आयोजित किया जा रहा है। इस चिन्तन शिविर में विद्यालयी शिक्षा विभाग के लगभग 200 शिक्षा अधिकारियों जिनमें उप शिक्षा अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी तथा राज्य व मण्डल स्तरीय, उप निदेशक स्तर से निदेशक स्तर तक के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। चिन्तन शिविर में रविनाथ रमन, सचिव विद्यालयी शिक्षा, दिप्ती सिंह, अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा एवं बंशीधर तिवारी, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा द्वारा प्रतिभाग किया गया। शिविर में सेवा निवृत निदेशक विद्यालयी शिक्षा पुष्पा मानस, चन्द्र सिंह ग्वाल एवं सेवा निवृत सचिव, उतराखण्ड शिक्षा बोर्ड दामोदर पन्त द्वारा भी प्रतिभाग किया गया।
मुख्य अतिथि पुष्कर सिंह धामी मुख्य मंत्री जी एवं सहदेव पुंडीर, विधायक सहसपुर की उपस्थिति में चिन्तन शिविर का उद्घाटन किया गया। श्री पुष्कर सिंह धामी, मा० मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार द्वारा अवगत कराया गया कि उत्तराखण्ड राज्य एन०ई०पी-2022 को लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। घटती छात्र संख्या तथा शैक्षणिक गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाना है। वर्ष 2025 राज्य स्थापना के रजत जंयती वर्ष तक विद्यालयी शिक्षा के उन्नयन हेतु रोड़ मैप तैयार करते हुए कम से कम तीन विशिष्ठ कार्य पूर्ण करने की अपेक्षा की गयी है। उत्तराखण्ड राज्य देश में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा प्रतिभागियों को सचेत किया गया कि यह अवसर विद्यालयी शिक्षा की स्थिति मूल्यांकन कर उसके समग्र विकास हेतु चिन्तन किये जाने का है। चिन्तन शिविर, विद्यालयी शिक्षा के उन्नयन में सफल हो इसकी शुभकामनायें दी गयी।
डॉ० धन सिंह रावत, शिक्षा मंत्री, उत्तराखण्ड द्वारा सम्बोधित करते हुए अवगत कराया गया कि भविष्य में प्रधानाचार्यों, अध्यापकों एवं अभिभावकों का भी चिन्तन शिविर का आयोजन किया जायेगा। उत्तराखण्ड राज्य का उचित उपयोग करते हुए राज्य में शैक्षिक गुणवत्ता बढाये जाने में कार्य किया जायेगा। उत्तराखण्ड राज्य एन०ई०पी० का शुभारम्भ करने वाला पहला राज्य बनने बनने जा रहा है तथा समस्त जनप्रतिनिधियों द्वारा 10 जूलाई तक समस्त विकास खण्ड मे एन०ई०पी० के अन्तर्गत बालवाटिका का शुभारम्भ करेंगे। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को अपनी इच्छा से विषय चयन की स्वत्रंता होगी। शिक्षकों से मांगी जाने वाली सूचनाओं का बोझ कम करने हेतु गुजरात राज्य के बाद उत्तराखण्ड राज्य देश का दुसरा राज्य होगा जो विद्या समीक्षा केन्द्र प्रारम्भ कर रहा है, जिसमे विद्यालयी शिक्षा संदर्भित सम्पूर्ण सूचनायें (बच्चों की समस्त सूचना सहित) उपलब्ध होंगी।
रविनाथ रमन, सचिव विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड द्वारा अवगत कराया गया कि वर्ष 2030 तक राज्य को एन0ई0पी0 के लक्ष्यों की प्राप्ति किया जाना मुख्य उद्देश्य है। नई शिक्षा नीति में बालवाटिका के संचालन से राज्य में एन०ई०पी०-2020 का शुभारम्भ हो जायेगा। उत्तराखण्ड राज्य में वर्तमान में 30 प्रतिशन जनसंख्या 0-18 वर्ष की आयु के हैं, अतः एन0ई0पी0- 2020 में दिये गये लक्ष्य / सुझाव का राज्य में शतप्रतिशत प्रयोग / अनुप्रयोग करते हुए शिक्षा व्यवस्था का सुदृढिकरण किया जाय। डायट चम्पावत एवं एस०सी०ई०आर०टी० द्वारा बालवाटिका एवं निपुण भारत की पुस्तकें बनाये जाने हुते किये गये प्रयास की प्रशंसा की गयी। अध्यापकों की रिक्तियों को भरा जाना है डायट एवं अन्य प्रशिक्षण संस्थानों को सुदृढिकरण किया जाना है। जी0ई0आर0 पर सुधार किया जाना है तथा विशेष बच्चों हेतु स्पेिशल टिचर, शौचालय, रैम्प आदि की सुविधा दिया जाना। सरकारी विद्यालयों को अभिभावकों की पहली प्राथमिकता बनाये जाने हेतु कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
सहदेव पुण्डीर, विधायक सहसपुर द्वारा अवगत कराया गया कि विद्यालयों में घटते नामांकन पर चिन्तन करते हुये इस दिशा में कार्य किये जाने की आवश्यकता है। बंशीधर तिवारी, माहनिदेशक, विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड द्वारा मुख्यमंत्री समेत अन्य अतिथिगणों का धन्यवाद व आभार प्रकट किया गया।
प्रथम सत्र में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा द्वारा शिक्षा अधिकारियों के उत्तरदायित्व का प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसमें उनके द्वारा उप शिक्षा अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा • अधिकारी एवं मुख्य शिक्षा अधिकारी के कार्यदायित्वों का विस्तृत रूप से प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर उनके द्वारा अवगत कराया गया कि हमें शिक्षा की गुणवत्ता हेतु एक मजबूत रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा तथा विभिन्न शैक्षिक प्रक्रियाओं के बारे में चिन्तन एवं मनन करना होगा। कार्यों एवं दायित्वों का विकेन्द्रीकरण, नामिका निरीक्षण कार्य को प्रभावी बनाना, बी०आर०पी०/ सी०आर०पी० के चयन के सम्बन्ध में उचित व्यवस्था बनानें की आवश्यकता है। शिक्षक पुरस्कार हेतु शिक्षकों के चयन के मानकों पर मंथन किये जाने की आवश्यकता है। विद्यालय अवस्थापना सुविधाओं यथा भवन, कक्षा-कक्ष, स्मार्ट बोर्ड आदि पर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। जनपद / खण्ड स्तर के अधिकारियों अपने जनपद / विकास खण्ड अवस्थापना सुविधा विहिन विद्यालयों को चिन्हित करें एवं उसकी पूर्ती हेतु कार्य करें। डायट मे प्रवक्ता बढ़ाने एवं प्रशिक्षण भी बढाये जाने की आवश्यकता है। विद्यालयों के सूचना प्रबन्धन कार्य में शिक्षकों को कम से कम लगाया जाय। अन्त में महानिदेशक महोदय द्वारा प्रतिभागी अधिकारियों से सुझाव मांगे गये।
बन्दना गब्र्याल, निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा, उत्तराखण्ड द्वारा नामांकन, ठहराव एवं गुणवत्ता सुधार पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। सीमा जौनसारी, निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड / शैलेन्द्र अमोली, खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 पर प्रस्तुतिकरण दिया गया। राकेश कुमार कुवर, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, उत्तराखण्ड द्वारा माध्यमिक स्तर पर गुणवत्तायुक्त शिक्षा हेतु प्रयास: स्कूल काम्पलेक्स / स्कूल कलस्टर का विकास के सम्बन्ध में प्रस्तुतिकरण दिया गया। मुकुल कुमार सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड द्वारा निपुण भारत मिशन पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। समुदाय की सहभागिता पर जोर दिया जाना है। ऑनलाइन एवं हाईब्रिड शिक्षण को मजबुत किये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। गुलफाम अहमद, वित्त नियंत्रक, विद्यालयी शिक्षा द्वारा वित्तीय प्रबन्धन पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। प्रदीप रावत, संयुक्त निदेशक, एस०सी०ई०आर०टी० द्वारा विद्यालय समीक्षा केन्द्र के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण दिया गया। डॉ० नीता तिवारी, सचिव, उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद, रामनगर द्वारा बोर्ड परीक्षाफल का प्रस्तुतीकरण किया गया।
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