देहरादून, डोईवाला में प्रस्तावित इंटीग्रेटेड टाउनशिप के मुद्दे पर क्षेत्रीय जनता में सरकार के इस प्रस्ताव के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है, इस मुद्दे को लेकर किसान संगठनों से जुड़े क्षेत्रीय किसान स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू हुए | पत्रकारों से बातचीत करते हुये संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक ताजेन्द्र सिंह ने कहा कि आर्थिक व शहरीकरण के दृष्टिकोण से देखा जाय तो इस योजना से किसान खत्म होगा, डोईवाला चीनी मील व किसान बुरी तरह से प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर लोग खेती से जुड़े हैं, सरकार द्वारा प्रस्तुत एक नक्शे में यह दर्शाया गया है कि नई टाउनशिप के लिए करीब 3080 हेक्टेयर भूमि चयनित की गई है,जिसमें 747 हेक्टेयर सरकारी भूमि व करीब 2334 हेक्टेयर कृषि भूमि है जिसे सरकार द्वारा अधिगृत करने की तैयारी चल रही है।
राज्य में केवल 28 प्रतिशत भूमि कास्तकारों के पास हैं बाकि भूमि वन विभाग की है ऐसे में राज्य सरकार द्वारा कृषि भूमि को इस तरह समाप्त करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार द्वारा क्षेत्र में कोई बड़ी योजना बनाई जाती है जिससे जनता के निजी जीवन व पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है तो सरकार को जनता के बीच जाकर जनसुनवाई करने का प्रावधान है जिसे सरकार ने पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।
किसान सभा (टिकैत) के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह खालसा ने कहा कि भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित उत्तराखण्ड राज्य के दो क्षेत्रों गढ़वाल मण्डल में डोईवाला क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के नाम पर प्रस्तावित निजी व सरकारी भूमि लगभग 3080 हैक्टेअर का अधिग्रहण किये जाने की योजना है जिससे स्थानीय गरीब जनता जिसमें टोरिया ग्राम (चांड़ी प्लांटेशन, बलकुंवारी दिलीपनगर सत्तीवाल माघोवाला), गुजर बस्ती बनवाहा व सत्तीवाला, ग्राम पंचायत व जिला पंचायत के पट्टेदार भूमिधर, सुवा जाखन व सौंग नदी किनारे बसी मलिन बस्तियों जिसमें कुडकावला नई बस्ती, केशवपुरी, राजीवनगर, जाखन नदी बस्ती आदि के लोग, वन विभाग की भूमि व संरक्षित वन में बसे लोग तथा टाइगर रिर्जव फोरेस्ट के इको सेंस्टीव घोषित जोन बुल्लावाला झबरावाला, रेशम माजरी, माजरीग्रान्ट, शेरगढ़, नुन्नावाला, भानियावाला, अठूरवाला सहित कई आवासीय गांव जिसमें निवासरत लगभग 50,000 से अधिक की आबादी प्रस्तावित योजना से प्रभावित होने की प्रबल संभावना है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में निवास कर रहे लोग गरीब व निम्न आय वर्ग के किसान व मजदूर परिवार हैं जो कि कृषि से जुड़े हुए कार्य जैसे प्राकृतिक जैविक खेती, बागवानी, पशु पालन, कुटकुट पालन, मछली व मधुमक्खी पालन कर अपनी आजीविका कृषि पर आधारित कार्यों से चलाते आ रहे हैं तथा इसके अलावा इन क्षेत्रों में लगभग 90 प्रतिशत अन्य पिछडा वर्ग, अनुसूचित जाति / जनजाति वअल्पसंख्यक वर्ग के लोग निवासरत हैं। उक्त योजना से यदि इनकी आवासीय व कृषि भूमि का अधिग्रहण किया जाता है तो इनके सामने अपनी आजीविका एवं भरण-पोषण का गम्भीर संकट पैदा हो जायेगा जिससे इनके जीवन यापन में भविष्य में उसकी क्षतिपूर्ति हो पाना संभव नहीं होगा।
खालसा ने कहा कि उक्त प्रस्तावित योजना की जानकारी हो जाने के बाद से गरीब जनता बुजुर्ग, गरीब किसान परिवार अत्यधिक भयभीत हैं और संकट को आता देखते हुए गांव-गांव मीटिंग कर अनेकों बार स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं और भविष्य में सरकार के खिलाफ संवैधानिक शान्तिपूर्ण आन्दोलन करने की योजना बना रहे हैं।
यह कि आम जनता की राय है कि हम इस योजना को अपने क्षेत्र में किसी भी सूरत में इस योजना के लिए अपनी आवासीय व कृषि भूमि देने को तैयार नहीं हैं तथा यदि सरकार द्वारा जल्द ही उक्त मामले में ठोस कदम नहीं उठाये जाते हैं तो उस दशा में संयुक्त किसान मोर्चा स्थानीय जनप्रतिनिधियों, किसान, गरीब व मजदूर नागरिकों के साथ मिलकर आन्दोलन को बाध्य होगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्वयं शासन-प्रशासन की होगी।
यह कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा विगत कई दिनों से उक्त मामले को लेकर आवाज उठायी जा रही है तथा शासन-प्रशासन से क्षेत्र की जनता को ऐसी कोई कार्यवाही भविष्य में अम्ल में न लाये जाने तक यह आन्दोलन जारी रहेगा। पत्रकार वार्ता में क्षेत्रीय निवासी गजेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि क्षेत्रीय जनता अगर ग्रामीण अपनी निजी जमीन नहीं देना चाहते हैं तो भूमि अधिग्रहण किसी भी हालात में नहीं करने दिया जाएगा । इस एहम मुद्दे के सम्बंध में डोईवाला क्षेत्र में हजारों की संख्या में हर गांव में बैठक व प्रदर्शन कर जनता ने इस हिटलरशाही योजना का पूर्ण विरोध किया जा रहा है। पत्रकार वार्ता में किसान सभा डोईवाला के अध्यक्ष बलवीर सिंह, हाजी अमीर हसन, तेजपाल सिंह, गजेन्द्र सिंह राव,उमेद वोरा के साथ क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे |