देहरादून। जीएमवीएन के पूर्व अध्यक्ष एंव जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने राज्य आंदोलनकरियो के संबंध मे कोर्ट के फैसले के बाद सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आंदोलनकारी आरक्षण मामले में लचर पैरवी और खनन मामले में जबरदस्त पैरवी से सरकार का दोहरा चरित्र सामने आ गया है।
पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि आंदोलनकारी आरक्षण मामले में सरकारी वकीलों की फौज क्यों हुई फ्लॉप हो गई। खनन कारोबारियों के हितों की पैरवी को सॉलीसीटर जनरल उतर सकते हैं तो आंदोलनकारियों के मामले में क्यों नहीं। आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण मामले में सरकार की तरफ से की गई लचर पैरवी आंदोलनकारियों के हितो पर कुठाराघात है। इससे आंदोलनकारियों की नौकरी पर बन आयी है। सरकार मॉडिफिकेशन एप्लीकेशन एवं अपने नोटिफिकेशन को बचाने में नाकामयाब रही की अर्थात सरकार की मंशा आंदोलनकारियों के हितों की रक्षा करना कतई नहीं था। नेगी ने कहा कि एक तरफ सरकार खनन कारोबारियों के हितों की रक्षा हेतु मा. उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित खनन कारोबार से जुड़ी दो जनहित याचिकाएं 104/2019 व 212/2019 में सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को विशेष तौर पर पैरवी हेतु आबद्ध (एंगेज) किया गया था, लेकिन राज्य आंदोलनकारियों के मामले में कोई मजबूत पैरवी नहीं की गई। नेगी ने कहा कि पूर्व में मा. उच्च न्यायालय द्वारा अपने आदेश दिनांक 26 अगस्त 2013 व 01 अप्रैल 2014 के द्वारा आरक्षण पर रोक लगा दी गई थी तथा 07/03/ 2018 के द्वारा भी आदेश पर रोक लगा दी गई थी। इसके खिलाफ वर्ष 2015 में कांग्रेस सरकार द्वारा आंदोलनकारियों के समर्थन में विधेयक पारित कर राजभवन को भेजा गया था, लेकिन कई बार मिन्नतें करने के बावजूद भी विधेयक राजभवन में धूल फांक रहा है। मोर्चा ने सरकार से आंदोलनकारियों के हितों की पैरवी मजबूती से करने की अपील की। पत्रकार वार्ता में- टीकाराम उनियाल व जगदीश रावत मौजूद थे।