सन 1699 में बैसाखी के अवसर पर गुरू गोविंद सिंह जी ने जात पात व भेदभाव से उपर उठ धर्म रक्षा के लिए पांच प्यारों को चुना

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देहरादून। खालसा साजना दिवस एवं बैसाख महीने की संग्राद कथा-कीर्तन के रूप मे पूर्ण श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक आढ़त बाजार स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, में मनाया गया। इस पावन अवसर पर प्रातः नितनेम के पश्चात भाई सतवंत सिंह जी ने आसा दी वार का शब्द अमृत पीवोह सदा चिर जीवोह हर सिमरत अन्द अनंता का गायन किया। श्री अखण्ड पाठ साहिब के भोग के पश्चात भाई गुरदियाल सिंह जी ने शब्द खालसा अकाल पुरख की फौज का गायन किया स हैड ग्रंथी ज्ञानी शमशेर सिंह जी ने खालसा साजना दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु गोविन्द सिंह जी ने 1699 की बैसाखी पर तख्त श्री केशगढ़ साहिब में जात-पात के भेदभाव से ऊपर उठ कर पांच प्यारों को चुना एवं उनको अमृतपान करा कर सिंह सजा कर खालसा पंथ की साजना की, गुरु जी ने स्वयं अमृतपान कर के गोविन्द राय से गोविन्द सिंह बने, गुरु जी ने धर्म की रक्षा के लिये अपना पूरा परिवार न्योछावर कर दिया।
भाई चरणजीत सिंह जी ने शब्द अमृत का व्यापारी होवे, क्या मद छुछे भाऊ धरे का गायन किया स बच्ची इश्मीत कौर एवं परमसुःख कौर ने शब्द बन्दना हर बन्दना गुण गावोह गोपाल राय का गायन कर संगत को निहाल किया। दरबार श्री अमृतसर से पधारे भाई गुरविंदर सिंह जी ने शब्द प्रगटयो खालसा परमात्म की मौज खालसा अकाल पुरख की फौज ष्का गायन कर संगत को निहाल किया। मंच का संचालन करते हुए सेवा सिंह मठारु ने खालसा साजना दिवस एवं बैसाख महीने की संग्राद की संगत को वधाई दी। इस अवसर पर प्रधान गुरबक्श सिंह, जनरल सेक्रेटरी गुलजार सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जगमिंदर सिंह छाबड़ा, उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह, सचिव अमरजीत सिंह छाबड़ा, कोषाध्यक्ष मंजीत सिंह, सतनाम सिंह, देविंदर सिंह भसीन, राजिंदर सिंह राजा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के पश्चात संगत ने गुरु का लंगर ग्रहण किया।