रुड़की। आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग द्वारा “पेय जल एवं स्वच्छता: वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की चुनौतियाँ” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली की सचिव वरिष्ठ आईएएस विनि महाजन, उद्घाटन समारोह कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं। उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए सुश्री महाजन ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान कार्यक्रम में प्रथम चरण के अंतर्गत वर्ष 2014 में प्रधान मंत्री जी के आह्वान पर हमारे गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जो वास्तव में बहुत आसान कार्य नहीं था।
पूर्व में किए गए कार्यों के बावजूद, इस दिशा में अभी भी बहुत बड़ा काम किया जाना शेष था। देश ने ओडीएफ की चुनौती को स्वीकार किया और पिछले पांच वर्षों के दौरान 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं तथा लोगों द्वारा उनका उपयोग भी किया जा रहा है। लोग अब शौचालय के महत्व और स्वच्छता में इसकी भूमिका के बारे में जागरूक हैं। उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के द्वितीय चरण के अंतर्गत वर्ष 2019 में देश के प्रधान मंत्री ने “जल जीवन मिशन” अभियान की घोषणा की, जिसके तहत देश के हर घर में पानी का नल लगाए जाने की योजना पर कार्य शुरू हुआ।
पांच वर्षों के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक इस योजना के तहत 50 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों को ग्रामीण जल कनेक्शन प्राप्त हो चुका है और उम्मीद है कि वर्ष 2024 तक ‘हर घर जल’ के कार्य को पूरा कर लिया जायेगा। सुश्री महाजन ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि आईआईटी रुड़की ने पेयजल और स्वच्छता पर एम टेक कोर्स शुरू किया है जो सीधे तौर पर देशवासियों विशेषकर ग्रामीण भारत की बुनियादी जरूरतों से जुड़ा है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर ए के चतुर्वेदी ने बताया कि इस कार्यशाला की थीम पेयजल और स्वच्छता पर हाल ही में शुरू किए गए एम टेक डिग्री प्रोग्राम के अनुरूप है, जो देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है।