देहरादून। आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश संगठन समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने जोशीमठ में भू-धसाव पर कहा की हिमालय दुनिया की सबसे नई पर्वत शृंखला होने के साथ साथ उत्तराखंड राज्य का हिमालयी भूभाग भूकंप कि दृष्ठि से सेसमिक जॉन 4 व 5 मे स्थितः है, इसलिए आती संवेदन शील है। इसी हिमालयी क्षेत्र के चमोली जिले में पिछले कुछ सालों में लगभग 22 जलविधयुत परियोजनाएं स्वीकृत करके उन पर काम शुरू कराया गाय था। इन 22 परियोजनाओं में से लगभग 10 पर काम बंद है लेकिन 12 परियोजनाओं का काम अभी भी गतिमान है। बावजूद इसके कि 2013 में केदारनाथ आपदा जिसका असर कर्णप्रयाग तक आया था, और 2021 की रैनी की आपदा से सरकार ने सबक नहीं लिया।
इन परियोजनाओं का निस्पक्ष भूसर्वेक्षण नहीं करवाया, अवैज्ञानिक तरीके से विकास के नाम पर पहाड़ों का दोहन जारी रहा। केंद्र और राज्य की सरकारों के इस गैर जिम्मेदाराना आचरण का परिणाम आज हमको जोशीमठ जैसी त्रासदी के रूप में देखने को मिल रहा है। उन्होने कहा की जोशीमठ की त्रासदी कोई दैवीय आपदा नहीं है, कोई भूकम्प से घटित आपदा नहीं है बल्कि साफ तौर पर मानव जनित आपदा है। एक विनाशकारी विकास की सोच ने जोशीमठ को इस समय भीषण आपदा की जद में डाल दिया है। 2003 में जब तपोवन-विष्णु गाड परियोजना का सर्वे शुरू हुआ तो स्थानीय नागरिकों ने इस परियोजना का विरोध शुरू कर दिया था। लेकिन सरकार ने स्थानीय नागरिकों की बात को दरकिनार करके परियोजना का काम शुरू करवाया।
स्थानीय नागरिकों ने अतुल सती के नेतृत्व में जोशीमठ संघर्ष समिति का गठन करके 2003 से आज तक परियोजना के दुष्परिणामों के खिलाफ लगातार संघर्षरत हैं। 2010 में समिति के साथ तत्कालीन ऊर्जा मंत्री भारत सरकार सुशील कुमार शिंदे के साथ एक समझौता हुआ, जिसको लागू नहीं किया गया। अगर लागू होता तो आज जोशीमठ शहर के सभी भवनों का उचित मुआवजा लोगों को बीमा कंपनी से मिल जाता और लोग स्वयं अपना घर खाली करके नई जगह पर अपना घर बनाते। जोशीमठ केवल कुछ परिवारों का आशियाना भर नहीं है। जोशीमठ जिसका 1500 साल का इतिहास है, जिसको आदि शंकराचार्य ने बसाया, इस का पौराणिक महत्व है, धार्मिक महत्व है क्यों कि यह स्थान बद्रीनाथ धाम का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है और भगवान बद्री विशाल कि गद्दी की पूजा भी शीतकाल में पौराणिक नरसिंघ मंदिर में होती है।
जोशीमठ का सामरिक महत्व है, पर्यटन की दृष्टि से महत्व है। यहाँ पर ब्लॉक, तहसील, स्वास्थ्य, शिक्षा का मुख्यालय है। वही जोशीमठ आज केंद्र और राज्य सरकारों की गलत नीति की भेंट चढ़ रहा है। सरकार इसको दैवी आपदा मानकर काम कर रही है, जबकि प्रभावित इसको बाई पास टनल के निर्माण के कारण आई आपदा कह रही है। आम आदमी पार्टी की स्थानीय इकाई ने 8 जनवरी को तथा मैंने पुनः दिनांक 10 जनवरी को जोशीमठ जाकर पूरे शहर का मौका मुआइना किया। शहर में जिस तरह की दरारें पड़ी है, हर दिन नई दरारें पड़ रही हैं, हर दिन चौड़ी और गहरी हो रही हैं, वह साफ संकेत है कि जोशीमठ में रहने वाले लोगों को नई जगह पर विस्थापित करना ही पड़ेगा। हमने जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के आन्दोलन स्थल पर जाकर जोशीमठ को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत करके उनकी समस्यों को जानने के बाद उन के आंदोलन को समर्थन दिया। हमारे प्रतिनिधि मंडल ने सरकार द्वारा किए जा रहे राहत बचाव आभियान की जानकारी प्राप्त की। राज्य सरकार द्वारा सोशल मीडिया व् न्यूज चैनलों के माध्यम से जो बड़े बड़े दावे किए जा रहें है वो सभी दावे पूरी तरह से खोखले हैं। धरतालीय हकीकत इन दावों से परे है। सरकार ने बिना कोई प्लानिंग किए ही स्थानीय लोगों को घरों को खाली करने के आदेश दिए जिससे लोगों में भय व्याप्त है, बिना किसी फौरी राशि के गरीब आमजन आखिर जाए तो जाए। हमारे प्रतिनिधि मंडल को ऐसे परिवार भी मिले जिन्होंने सरकार के झूठ की पोल भी खोली। जिसमें पता चला कि कई ग्रामीणों को रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं दिया गया और उन्हें घर खाली करने पर जबरन मजबूर किया गया। वहीं बिना किसी सूचना के कल होटल व्यसायियों के होटल तोड़ने पर भी सरकारी तंत्र आमादा था। सरकार अमानवीय तरीके से जोशीमठ में मानव अधिकारों का हनन कर रही है। जिसे आम आदमी पार्टी उत्तराखंड कतई भी बर्दास्त नही करेगी। जोशीमठ की इस त्रासदी में एनटीपीसी की अहम भूमिका है टनल बोरिंग से पहले पहाड़ का सही अध्यन नही किया गया, जिसके चलते टीबीएम टनल बोरिंग मशीन बीच पहाड़ में फंसी और उसे निकालने हेतु एनटीपीसी को बाईपास सुरंग बनानी पड़ी। यह बईपास टनल जोशीमठ के नीचे होने के कारण ही जोशीमठ शहर लगातार भू धंसाव की चपेट में है। एनटीपीसी ने जोशीमठ की आपदा से अपने को पूरी तरह से अलग कर लिया है और सरकार भी कंपनी को बचाने का काम कर रही है। कल तक सरकार प्रभावितों को पुनर्वासित करने तथा उनकी सम्पति का मुआवजा देने के बजाय राहत राशि देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करना चाहती थी।
इस तरह से राज्य सरकार एक निर्धारित योजना पर काम करने के बजाय लक्षण के आधार पर उपचार के तरीके से काम करती हुई दिख रही थी, लेकिन जन दबाव में सरकार ने अपने फैसले में बदलाव करके आज बाजार भाव पर भवनों का मुआवजा देने का फैसला किया है जिससे प्रभावित परिवार कुछ राहत महसूस कर सकते हैं। लेकिन सरकार ऐसा करके आमजन के पुनर्वास करने से बचना चाह रही है। आम आदमी पार्टी का साफ तौर पर मानना है कि जोशीमठ के सभी प्रभावित परिवारों को चिन्हित करने के बाद प्रथम चरण में उनको सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाए। सभी प्रभावित परिवारों की सम्पति का मूल्यांकन करके भुगतान किया जाए तथा नई जगह पर सभी परिवारों को टिहरी बांध विस्थापितों की तरह आवासीय व कृषि भूमि या व्यावसायिक भूखंड उपलब्ध कराए जांया। सरकार जिस तरह से एक परिवार को एकलाख तीस हजार रुपये देकर बारी होना चाहती है वह बिल्कुल उचित नहीं है।
केदार नाथ आपदा में प्रभावितों को दी गई राहत का पैमाना भी देख कर जोशीमठ के प्रभावितों के साथ न्याय किया जाए। जोशीमठ के पौराणिक, धार्मिक, सामरिक तथा पर्यटन के महत्व को देखते हुए इन धरोहर को सुरक्षित रखने का काम भिकीय जाना चाहिए। इसके लिए समग्र रूप से नए जोशीमठ को बसाने की जरूरत है। जिला चमोली की सभी निर्माणाधीन परियोजनाओं का भी एक बार गहन जियॉलॉजीकल सर्वे करवाकर पहाड़ में बसे ग्रामीणों का जीवन सुरक्षित हो सुनिश्चित किया जाए। अगर राज्य सरकार जोशीमठ के प्रभावित परिवारों के साथ न्याय नहीं करेगी तो आम आदमी पार्टी प्रभावितों के हितों की रक्षा के लिए हर लड़ाई लड़ेगी, चाहे विधिक लड़ाई हो या फिर सड़कों पर संघर्ष आप पार्टी का प्रतेक कार्यकर्त्ता इसके लिए तत्पर है।