देहरादून 10 अक्टूबर। भारतीय जैन मिलन की ओर से जैन प्रतिभा एवं बुजुर्ग सम्मान समारोह में बुजुर्गों व प्रतिभावान छात्र-छात्राओं (हाईस्कूल / इंटर में 90% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले) एवं 8 से 18 वर्ष आयु व 19 से 38 वर्ष आयु के दो वर्गों में प्रर्युषण पर्व में रात्रि भोजन त्याग, नित्य देव दर्शन, स्वाध्याय आदि करने वाले 90 बच्चों को सम्मानित किया गया। जैन धर्मशला परिसर में आयोजित समारोह का शुभारम्भ जैन मिलन एकता की महिलाओं ने महावीर प्रार्थना से किया गिलन गीत की सुन्दर प्रस्तुति जैन मिलन मूकमाटी द्वारा दी गयी। मंच उद्घाटन जैन मिलन प्रगति की अध्यक्षा अलका जैन ने की तथा जैन मिलन शिवालिक के अध्यक्ष राजेश जैन ने चित्र अनावरण व दीप प्रज्जवलन राजीव जैन-राकेश जैन ने किया। बतौर मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विश्व में जैन धर्म जैसा कोई दूसरा धर्म नहीं है। हिंसा शस्त्रों से नहीं वचनों से भी होती है। जैन धर्म में भाव हिंसा को भी निषेध बताया है। ईश्वर ने जीभ में हड्डी नहीं दी है ताकि हम कठोर शब्द न कह सकें। भगवान महावीर के आदर्शों पर चलकर ही विश्व में शान्ति सम्भव है। जैन धर्म व सुमदाय दोनों ही शान्ति व सद्भाव के प्रतीक हैं। कार्यक्रम के प्रेरक व भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय महामंत्री नरेश चन्द जैन ने कहा कि बुजुर्ग हमारी आस्था के प्रतीक हैं, उनका आर्शीवाद हमेशा मिलता रहता है। इस अवसर पर 80 वर्ष आयु के दम्पति सपत्नीक को सम्मानित किया गया । आचार्य श्री विबुद्ध सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि सभी तीर्थंकरों ने मानव जाति के कल्याण के लिए काम किया, सृष्टि की बेहतरी के लिए त्याग किया। आदि नाथ से लेकर महावीर स्वामी का जीवन हम सभी के लिए अनुकरणीय है। ज्योतिष दिवाकर श्री राजेश मुनि जी महाराज ने जैन मिलन के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उपभोक्तावाद का नकारात्मक असर जैन समुदाय पर भी पड़ रहा है। इस स्थिति को बदलने की जरूरत है। हमें जैन धर्म के मूल्यों का आचरण करना चाहिए।