देहरादून। चीन में जल्द होने वाले बीजिंग 2022 ओलंपिक खेलों का विरोध करते आज देहरादून में तिब्बत युवा कांग्रेस द्वारा गांधी पार्क से रैली निकाली गई। इस अवसर पर दून के लोगों को चीन द्वारा मासूम लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जागरूक करने के लिए शहर के कई क्षेत्रों की दिवारों पर चीन में शीघ्र होने वाले खेलों के विरोध में पोस्टर भी लगाए गये। इस विरोध के दौरान तिब्बती युवा कांग्रेस, तिबितयन वूमेन ऐसोसिएशन आदि के सदस्यों ने भाग लेकर अपना विरोध चीन के खिलाफ जताया। इस अवसर पर संगठन के अध्यक्ष आर डिलिंक ने बताया कि 2022 के बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक ने इन अत्यचारों को वैध ठहराने का गंभीर जोखिम लिया है। तिब्बतियों, उइगरों, होनकाॅन्गर्स, ताईवानी और इनर मंगोजियाई लोगों के खिलाफ बढ़ता उत्पीड़न के बावजूद भी चीन पर आईओसी द्वारा किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध नही लगाया गया है।
इसलिए हम अंतराष्ट्रीय समुदाय और विश्व के वरिष्ठ नेताओं से मानवता के खिलाफ अपराध को नजरअंदाज करने में आईओसी की भागीदारी की निंदा करने की मांग करते हैं। न केवल तिब्बत बल्कि अन्य स्वतंत्र देशों की सुरक्षा को खतरे में डालने पर भी जवाबदेह बनाने का आग्राह करते हैं। हमारा मानना है कि ओलंपियन विवेक के लोग है जो आंलंपिक चार्टर और ओलंपिक के मौलिक सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें मानव जाति के सामंजस्यपूर्ण विकास मानव गरिमा के संरक्षण जो कि शांतिपूर्ण समाज को बढ़ावा देता है और अधिकारों और स्वतंत्रता पर ध्यान केंद्रित करना शामिल जो कि सभी के लिए किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना सुरक्षित होना है। इस लिए हम भाग लेने वाले एथलीटों से आग्रह करते हैं और अपील करते है कि वे खून से सना हुआ पदक लौटाकर हमारी लड़ाई के लिए अपना समर्थन और एकजुटता दिखांए जिसमें अनगिनत जिन्दगी की बलिदान हुए हैं। तिब्बत की समृद्रध प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करके निकाले गए खनिजों से बना पदक और उत्पीड़न के इतिहास में रह जाने वाली पदक को स्वीकृत ना करें। इस लिए बीजिंग 2022 ओलंपिक जो कि नरसंहार खेल को निंदा करना और मानव अधिकारों के हनन और कार्रवाई कर के जवाबदेह बनाने का आहवान करते है।